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कब है कुंभ संक्राांति जानिए इस दिन का है विशेष महत्व, जानें दान-स्नान का सही मुहूर्त

हिंदू धर्म में संक्रांति का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन स्नान और दान का बहुत महत्व होता है। आइए सबसे पहले आपको बताते हैं कि आखिरी संक्रांति का मतलब क्या होता है। संक्रांति का अर्थ है कि जब सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में जाता है तो उसे संक्रांति कहते हैं। फरवरी के महीने में पड़ने वाली संक्रांति को हम कुंभ संक्रांति कहेंगे क्योंकि इस बार सूर्य कुंभ राशि में प्रवेश करेगा।

शुभ मुहूर्त, सूर्यास्त का समय
इस बार सूर्य संक्रांति 13 फरवरी 2023 सोमवार को पड़ रही है। इसकी शुभ घड़ी सुबह 9 बजकर 57 मिनट पर सूर्य मकर राशि को छोड़कर कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे। उस समय सूर्य की कुंभ संक्रांति होगी। संक्रांति के दिन लोग गंगा स्नान करते हैं। इस दिन के बारे में कुछ खास है। इस दिन आप किसी भी पवित्र नदी में स्नान कर सकते हैं। स्नान करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। वैसे तो संक्रांति सूर्य देव के लिए होती है लेकिन अगर आप इस दिन सूर्य देव को पसंद करते हैं तो सूर्य देव की कृपा आप पर बनी रहती है।

संक्रान्ति के दिन सूर्य की उपासना और व्रत करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

इस दिन व्रत रखने का भी विधान है।

सूर्य देव की कृपा पाने के लिए पवित्र नदी में डुबकी लगाएं। सूर्य देव को तिल और जल अर्पित करें।

“ॐ सूर्याय नमः” मंत्र का जाप करें। प्रतिदिन सूर्य देव को जल अर्पित करें।

संक्रांति के दिन जल में रोली या लाल रंग मिलाकर सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है। ये उपाय संक्रांति के दिन करें

सूर्य संक्रांति के दिन बंदर, पहाड़ी गाय या कपिला को भोजन कराएं।

भगवान श्री विष्णु की पूजा करें।

रविवार के दिन उपवास रखें.

गुड़ या मिश्री खाकर पानी पीकर ही घर से निकलें।

भगवान सूर्य की स्तुति के लिए आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें।

पीपल के वृक्ष में जल चढ़ाएं और घी का दीपक जलाकर परिक्रमा करें।

हनुमानजी और शनिदेव के मंदिर में तेल का दीपक जलाएं।

शनिदेव को तिल या सरसों का तेल अर्पित करें।

जरूरतमंदों को भोजन और गर्म कपड़े दान करें।

Rajeev Kushwaha
Author: Rajeev Kushwaha

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