नई दिल्ली, 29 जनवरी 2025: वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष के एक नए क्षेत्र में ‘चहचहाने’ (chirping) वाली रहस्यमयी तरंगों का पता लगाया है। ये तरंगें इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन से जुड़ी हैं और इंसानों के साथ-साथ सैटेलाइट्स को भी प्रभावित कर सकती हैं। इस खोज ने वैज्ञानिकों को चौंका दिया है, क्योंकि पहले ये तरंगें सिर्फ पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के पास देखी गई थीं।
नई खोज: 1.65 लाख किलोमीटर दूर मिलीं रहस्यमयी तरंगें
अब तक वैज्ञानिक मानते थे कि ये तरंगें पृथ्वी से लगभग 51,000 किलोमीटर की दूरी पर चुंबकीय क्षेत्र से उत्पन्न होती हैं, लेकिन नई रिसर्च के अनुसार, इनका स्रोत पृथ्वी से 1,65,000 किलोमीटर दूर है। यह इलाका पृथ्वी के मैग्नेटिक फील्ड से काफी अधिक विकृत (distorted) है। इस खोज को प्रतिष्ठित साइंस जर्नल ‘नेचर’ में प्रकाशित किया गया है।
इंसानों और सैटेलाइट्स पर असर?
ये रहस्यमयी तरंगें अंतरिक्ष में सबसे ताकतवर प्राकृतिक इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन में से एक हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक, इन तरंगों से निकलने वाली ध्वनि पक्षियों के चहचहाने जैसी लगती है। अगर ये तरंगें सैटेलाइट्स को प्रभावित करती हैं, तो अंतरिक्ष मिशनों के लिए नई चुनौती खड़ी हो सकती है।
क्या पृथ्वी पर पड़ेगा असर?
वैज्ञानिक अब इन तरंगों के स्रोत का पता लगाने और यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि ये पृथ्वी के लिए कितनी खतरनाक हो सकती हैं। यह खोज अन्य ग्रहों, जैसे मंगल, बृहस्पति और शनि, के चुंबकीय क्षेत्र को समझने में भी मदद कर सकती है।
आगे क्या?
इस नई खोज ने अंतरिक्ष विज्ञान के लिए नए रास्ते खोल दिए हैं। वैज्ञानिक अब यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि:
✅ ये तरंगें आखिर पैदा कहां होती हैं?
✅ क्या ये पृथ्वी के लिए खतरा बन सकती हैं?
✅ क्या दूसरे ग्रहों पर भी इसी तरह की तरंगें मौजूद हैं?
इस रिसर्च से अंतरिक्ष की गहराइयों को समझने में एक बड़ी उपलब्धि हासिल हो सकती है। अब देखना होगा कि वैज्ञानिक इन रहस्यमयी ‘चहचहाती’ तरंगों के राज को कब तक सुलझा पाते हैं!