नई दिल्ली: वैज्ञानिकों ने पृथ्वी के मैग्नेटिक फील्ड में एक अद्भुत खोज की है—यदि इसे ऑडियो में बदला जाए, तो यह भयानक पक्षियों की आवाज़ जैसी सुनाई देती है। इस रहस्यमयी ध्वनि को “कोरस वेव” (Chorus Waves) नाम दिया गया है। ये इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन के तीव्र विस्फोट होते हैं, जो सेकंड के अंश मात्र तक रहते हैं, लेकिन घंटों तक जारी रह सकते हैं। हालांकि इनकी ध्वनि आकर्षक लग सकती है, लेकिन ये अंतरिक्ष में घूम रहे सैटेलाइट्स के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकते हैं।
पहली बार पृथ्वी की टेल में मिली कोरस वेव
स्पेस डॉट कॉम की रिपोर्ट के अनुसार, वैज्ञानिकों ने हाल ही में पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र की टेल में लगभग 165,000 किलोमीटर दूर एक कोरस वेव का पता लगाया है। यह खोज महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि अब तक ऐसी तरंगें केवल 51,000 किलोमीटर के भीतर ही देखी गई थीं। पहले वैज्ञानिकों का मानना था कि पृथ्वी के इस क्षेत्र में मैग्नेटिक फील्ड की संरचना ऐसी वेव को बनने नहीं देगी, लेकिन यह नई खोज इस धारणा को चुनौती देती है।
कैसे बनती हैं ‘कोरस वेव’?
वैज्ञानिक लगभग 70 वर्षों से इस गुत्थी को सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं कि अंतरिक्ष में ये कोरस वेव कैसे उत्पन्न होती हैं। ये तरंगें तब बनती हैं जब इलेक्ट्रॉनों का एक समूह पृथ्वी के मैग्नेटिक फील्ड में तेज़ी से घूमता है। जैसे ही वे घूमते हैं, वे रेडिएशन के रूप में ऊर्जा छोड़ते हैं, जिससे ये तरंगें उत्पन्न होती हैं। दिलचस्प बात यह है कि ये वेव छोटे-छोटे विस्फोटों के रूप में आती हैं, जिनकी फ्रीक्वेंसी लगातार बढ़ती रहती है, जिससे इनकी आवाज़ किसी बढ़ते हुए संगीत कोरस जैसी लगती है।
नई खोज ने खोले रहस्य के दरवाजे
हाल ही में वैज्ञानिकों ने कोरस वेव की उत्पत्ति से जुड़े एक महत्वपूर्ण सिद्धांत की पुष्टि की है। मैग्नेटोस्फेरिक मल्टीस्केलर सैटेलाइट से मिले डेटा का उपयोग करके, वैज्ञानिकों ने पहली बार यह मापा कि कोरस वेव के अंदर इलेक्ट्रॉनों का व्यवहार कैसा होता है। उन्होंने पाया कि रेडिएशन वेव के अंदर “इलेक्ट्रॉन होल” बनता है, जिसकी फिजिक्स के मॉडल ने कई वर्षों से भविष्यवाणी की थी। यह खोज कोरस वेव के मैकेनिज्म की मौजूदा समझ को और मज़बूती प्रदान करती है।
क्या कोरस वेव से खतरा है?
वैज्ञानिकों के अनुसार, कोरस वेव सुनने में चाहे जितनी दिलचस्प लगे, लेकिन ये अंतरिक्ष में घूम रहे सैटेलाइट्स और कम्युनिकेशन सिस्टम्स के लिए खतरनाक साबित हो सकती हैं। इनकी वजह से सैटेलाइट्स में इलेक्ट्रॉनिक गड़बड़ी हो सकती है, जिससे संचार सेवाओं पर असर पड़ सकता है।
यह खोज न केवल अंतरिक्ष विज्ञान की मौजूदा समझ को आगे बढ़ाती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि पृथ्वी के चारों ओर कई ऐसे रहस्य छिपे हैं, जिन्हें हम अभी तक पूरी तरह समझ नहीं पाए हैं।
