राजस्थान विधानसभा में जयपुर की ट्रैफिक समस्या पर गरमाई बहस, पूर्व UDH मंत्रियों में तीखी नोकझोंक

जयपुर, 7 मार्च 2025: राजस्थान विधानसभा के बजट सत्र के दौरान मंगलवार को शहरी विकास (UDH) और स्वास्थ्य विभाग की अनुदान मांगों पर चर्चा हुई, जिसमें जयपुर की ट्रैफिक समस्या और शहरी विकास को लेकर तीखी बहस देखने को मिली। इस दौरान पूर्व UDH मंत्री शांति धारीवाल और श्रीचंद कृपलानी आमने-सामने आ गए। धारीवाल ने जयपुर के ट्रैफिक जाम को लेकर मौजूदा सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए और कहा कि “काम अनजान हाथों में चला गया है, सत्यानाश होना तय है।”

जयपुर की ट्रैफिक समस्या पर उठा बड़ा सवाल

शांति धारीवाल ने कहा कि “हमने कोटा को ट्रैफिक सिग्नल फ्री बना दिया, लेकिन जयपुर में दिनभर जाम की स्थिति रहती है।” उन्होंने कहा कि B2 बायपास और अन्य व्यस्त सड़कों पर जाम की समस्या को हल करने में सरकार पूरी तरह विफल रही है। धारीवाल ने आरोप लगाया कि JDA (जयपुर विकास प्राधिकरण) की कार्यप्रणाली बेहद सुस्त हो चुकी है और मास्टर प्लान को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।

भ्रष्टाचार के आरोपों पर धारीवाल का पलटवार

इस दौरान पूर्व मंत्री श्रीचंद कृपलानी ने धारीवाल पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए, जिस पर धारीवाल भड़क उठे। उन्होंने कहा, “अगर भ्रष्टाचार हुआ है तो लिखित में दो, जांच करवाओ, मैदान में आओ। सिर्फ बातें करने से कुछ नहीं होगा।” धारीवाल ने कांग्रेस शासनकाल की उपलब्धियां गिनाते हुए कहा कि “हमने 13 लाख पट्टे बांटे और लोगों को मालिकाना हक दिया, लेकिन मौजूदा सरकार सिर्फ जांच करने की बात कर रही है, कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रही।”

JDA की कार्यप्रणाली पर सवाल

विधानसभा में चर्चा के दौरान धारीवाल ने कहा कि “JDA ने सवा साल में सिर्फ 627 प्लॉट निकाले, जबकि लाखों आवेदन लंबित पड़े हैं।” उन्होंने जयपुर में अधूरे पड़े विकास कार्यों और धीमी गति से हो रहे बुनियादी ढांचे के विकास पर चिंता जताई।

चंबल रिवर फ्रंट पर भी गरमाई बहस

इसके अलावा, शांति धारीवाल ने कोटा के चंबल रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट को राष्ट्रीय धरोहर बताते हुए सरकार को घेरा। उन्होंने कहा, “अगर इसमें भ्रष्टाचार हुआ है तो शिकायत करो, जांच करो। एनजीटी की अनुमति और रिपोर्ट में इसे बेहतरीन प्रोजेक्ट बताया गया है, फिर भी सरकार इसे ठप करने पर तुली है।”

योजनाओं का नाम बदलने का आरोप

धारीवाल ने सरकार पर योजनाओं के नाम बदलने और बजट में कटौती करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “इंदिरा गांधी शहरी योजना के लिए हमने 550 करोड़ रुपये का बजट रखा था, जिसे मौजूदा सरकार ने घटाकर 200 करोड़ कर दिया। मौजूदा सरकार का काम सिर्फ नाम बदलना है, नई योजनाएं शुरू करना नहीं।”

क्या जयपुर की ट्रैफिक समस्या का समाधान होगा?

इस तीखी बहस के बीच सवाल यह है कि जयपुर की ट्रैफिक समस्या का समाधान कब होगा? क्या सरकार इस पर कोई ठोस कदम उठाएगी, या यह मुद्दा केवल राजनीतिक बहस का विषय बनकर रह जाएगा?

manoj Gurjar
Author: manoj Gurjar

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