जयपुर, 27 मार्च 2025: राजस्थान के उप मुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा को जान से मारने की धमकी मिलने के बाद प्रदेश की राजनीति गरमा गई है। इस घटना से चिंतित नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने राज्य की भजनलाल सरकार पर तीखा हमला बोला और प्रदेश में कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े किए।
टीकाराम जूली ने कहा, “पहले मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को धमकी मिली और अब उप मुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा को। यह प्रदेश की कानून व्यवस्था का असली चेहरा दिखाता है। जब राज्य के उच्च पदस्थ नेता ही सुरक्षित नहीं हैं, तो आम जनता की सुरक्षा की क्या गारंटी है?” उन्होंने जेल प्रशासन पर भी सवाल उठाते हुए पूछा कि आखिर अपराधियों के पास जेल के अंदर मोबाइल कैसे पहुंच रहे हैं।
कैसे मिली धमकी?
पुलिस के अनुसार, डिप्टी सीएम बैरवा को धमकी देने वाला कॉल जयपुर के सेंट्रल जेल से आया। फोन करने वाले ने अपना नाम अनिल बताया, जिससे यह आशंका जताई जा रही है कि धमकी जेल के भीतर से दी गई। पुलिस कंट्रोल रूम में बुधवार को यह कॉल आई, जिसके बाद मामले की गंभीरता को देखते हुए विधायकपुरी थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई गई।
जेल में चला सर्च ऑपरेशन
धमकी के बाद पुलिस और जेल प्रशासन ने जयपुर सेंट्रल जेल में सघन तलाशी अभियान चलाया। पुलिस जांच में सामने आया कि जेल में कुल आठ कैदी ऐसे हैं, जिनका नाम अनिल है। पुलिस अब इन सभी की भूमिका की जांच कर रही है और पता लगाया जा रहा है कि धमकी देने वाला कौन था।
पहले भी मिल चुकी है धमकी
यह पहली बार नहीं है जब राज्य सरकार के वरिष्ठ नेताओं को इस तरह की धमकी मिली है। इससे पहले 21 फरवरी को सीएम भजनलाल शर्मा को भी दौसा जेल से कॉल कर जान से मारने की धमकी दी गई थी। वह कॉल एक कैदी ने रात 12:30 से 1:00 बजे के बीच पुलिस कंट्रोल रूम में की थी। इस मामले में भी पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की थी और जेल के भीतर छानबीन की थी।
विपक्ष ने सरकार को घेरा
टीकाराम जूली ने प्रदेश सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि अपराधी अब बेखौफ हो चुके हैं और जेलों से ही धमकियां दे रहे हैं। उन्होंने इस मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग करते हुए कहा कि अपराधियों के पास मोबाइल कैसे पहुंच रहे हैं, यह सरकार को स्पष्ट करना चाहिए।
सरकार की प्रतिक्रिया
राज्य सरकार ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश दे दिए हैं। गृह विभाग ने कहा है कि जेलों में सुरक्षा कड़ी की जाएगी और दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी। वहीं, पुलिस प्रशासन ने भी इस मामले में जल्द कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
निष्कर्ष
राजस्थान में राजनीतिक तनाव एक बार फिर बढ़ गया है। सरकार और विपक्ष आमने-सामने हैं, जबकि जनता कानून व्यवस्था को लेकर चिंतित है। अब देखना यह होगा कि सरकार इस मामले में क्या ठोस कदम उठाती है और प्रदेश में सुरक्षा व्यवस्था को कैसे मजबूत किया जाता है।
