जयपुर | 19 अप्रैल 2025 — राजस्थान में लगातार बढ़ रही भीषण गर्मी और लू के कहर के बीच राहत इंतजामों की कमी पर राजस्थान हाई कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। कोर्ट ने इस मामले में स्वत: संज्ञान (Suo Moto) लेते हुए राज्य सरकार और संबंधित अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि प्रशासन की लापरवाही से आमजन का जीवन संकट में है और सरकार अब भी नींद में है। जस्टिस अनूप कुमार ढड की सिंगल बेंच में हुई सुनवाई में अदालत ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा, “ऐसा प्रतीत होता है कि अधिकारी खुद को कानून से ऊपर समझते हैं, लेकिन कोर्ट आंख बंद करके नहीं बैठ सकता। इंसानों के साथ जानवरों जैसा व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।”
कोऑर्डिनेशन कमेटी बनाने और कार्य योजना तैयार करने का आदेश
हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि पिछले वर्ष 31 मई को जारी किए गए दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन सुनिश्चित किया जाए। इसके लिए एक कोऑर्डिनेशन कमेटी का गठन कर विस्तृत कार्य योजना तैयार करने का आदेश दिया गया है, ताकि लोगों को भीषण गर्मी से राहत मिल सके। कोर्ट ने केंद्र और राजस्थान के 10 अधिकारियों को नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगा है। इसके साथ ही सभी जिलों के कलेक्टरों (DM) को आदेश दिया गया है कि वे 24 अप्रैल तक अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करें।
दोपहर 12 से 3 बजे तक खुले में काम बंद करने की सिफारिश
अदालत ने सिफारिश की है कि दिहाड़ी मजदूरों, रिक्शा चालकों, कुलियों और खुले में काम करने वाले अन्य लोगों को दोपहर 12:00 से 3:00 बजे तक काम से राहत दी जाए, ताकि वे लू के प्रभाव से बच सकें।
सरकार को बजट पर ताना
अदालत ने यह भी कहा कि सरकार बजट की कमी का बहाना नहीं बना सकती। कोर्ट ने टिप्पणी की, “जब सरकार प्रचार-प्रसार पर करोड़ों रुपये खर्च कर सकती है, तो लोगों की जान बचाने के लिए संसाधन क्यों नहीं जुटाए जा सकते?”
कोर्ट की नाराजगी: 10 महीने में भी पालन नहीं
गौरतलब है कि हाई कोर्ट ने पिछले साल भी इसी मुद्दे पर स्वत: संज्ञान लेते हुए 31 मई 2024 को जरूरी दिशा-निर्देश जारी किए थे, लेकिन 10 महीने बीत जाने के बावजूद आदेशों का पालन नहीं होना कोर्ट के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। अदालत ने इस जनहित मामले में कुछ वकीलों को नामित कर उनसे सहयोग करने की अपील भी की है, ताकि इस गंभीर मुद्दे पर न्यायिक प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी बनाया जा सके।
