जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने पहलगाम आतंकी हमले को ‘बेहद दर्दनाक’ करार देते हुए सख्त कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि इस हमले ने इंसानियत को झकझोर कर रख दिया है और इसके पीछे जो भी लोग हैं, उन्हें पकड़कर कड़ी सजा दी जानी चाहिए, ताकि यह घटना लोगों के लिए एक मिसाल बन सके। फारूक अब्दुल्ला ने कहा, “पहलगाम की घटना बहुत दर्दनाक थी, यह होना नहीं चाहिए था। उन लोगों ने इंसानियत का कत्ल किया है। जितनी भी इस घटना की निंदा की जाए, वह कम है। मैं मांग करता हूं कि आतंकियों को पकड़कर सजा दी जाए और ये सब लोगों के लिए मिसाल हो।”
पाकिस्तान पर फिर उठी उंगली
अब्दुल्ला ने इस आतंकी हमले के पीछे पाकिस्तान की भूमिका की आशंका जाहिर करते हुए कहा, “हैंडलर तो वहीं (पाकिस्तान) बैठे हैं। उरी, पुलवामा, पठानकोट, पुंछ और मुंबई जैसे हमलों के पीछे भी वही लोग थे। जब तक आतंकियों को पकड़कर जांच नहीं होती, हम पूरी सच्चाई नहीं जान सकते।” उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान को भारत में अमन पसंद नहीं है और वह बार-बार शांति को भंग करने की कोशिश करता रहा है।
बिना स्थानीय मदद के मुमकिन नहीं हमला
हमले में स्थानीय सहयोग की संभावना पर अब्दुल्ला ने कहा कि ऐसा हमला बिना स्थानीय समर्थन के नहीं हो सकता। उन्होंने याद दिलाया कि उन्होंने पहले भी मसूद अजहर को छोड़ने के फैसले का विरोध किया था, जिसका नतीजा आज भुगतना पड़ रहा है।
पाकिस्तानी नागरिकों को बाहर निकालने पर सवाल
अब्दुल्ला ने उन पाकिस्तानी हिंदुओं और नागरिकों को देश से बाहर निकाले जाने के कदम को अमानवीय करार दिया, जो पिछले 50 सालों से भारत में रह रहे हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान भी उन्हें स्वीकार नहीं कर रहा है और वे लोग बॉर्डर पर फंसे हैं।
POK और प्रधानमंत्री पर टिप्पणी
POK पर भारत का दावा और प्रधानमंत्री की भूमिका पर बोलते हुए उन्होंने कहा, “यह फैसला देश के प्रधानमंत्री का होगा। अगर देश उनके हाथों में सुरक्षित नहीं होता, तो वह पीएम नहीं होते।”
वक्फ विवाद और पानी पर टिप्पणी
वक्फ बोर्ड के मुद्दे को पहलगाम हमले से जोड़ने को उन्होंने गलत बताया और कहा कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। साथ ही उन्होंने भारत सरकार से जम्मू-कश्मीर के जल अधिकारों को लेकर ट्रीटी पर पुनर्विचार करने की भी अपील की।
जाति जनगणना का समर्थन
अब्दुल्ला ने जाति जनगणना का समर्थन करते हुए कहा, “यह देश सभी का है। यह जानना जरूरी है कि दलित, मुसलमान, सिख कितने हैं। यह रंग-बिरंगा भारत है और इसकी पहचान दुनिया के सामने आनी चाहिए।” फारूक अब्दुल्ला का यह बयान ऐसे समय में आया है जब देश में आतंकी गतिविधियों को लेकर जनभावनाएं उफान पर हैं और सरकार से ठोस कदमों की उम्मीद की जा रही है।
