ऑपरेशन सिंदूर: भारत के सटीक हमलों से पाकिस्तान में मची हलचल, दहशत में जनता

भारत द्वारा अंजाम दिए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने पाकिस्तान में खलबली मचा दी है। पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले का करारा जवाब देते हुए भारतीय सेना ने मंगलवार आधी रात को पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर सटीक एयरस्ट्राइक्स कीं। इन हमलों में कम से कम 9 प्रमुख ठिकानों को निशाना बनाया गया, जिनमें मुजफ्फराबाद भी शामिल है।

हमला और उसकी गूंज

मुजफ्फराबाद समेत पाकिस्तान के कई हिस्सों में धमाकों की आवाज़ सुनकर लोग नींद से जाग उठे। बमबारी के चलते बिजली आपूर्ति बाधित हो गई और कई क्षेत्रों में अंधेरा छा गया। इस दौरान वहां की जनता में डर और भ्रम का माहौल देखने को मिला। हालांकि, कुछ लोगों ने इस डर को नकारने की कोशिश की और सड़कों पर नारेबाजी करते हुए कहा कि वो डर के आगे झुकेंगे नहीं।

पाकिस्तान में आपातकाल जैसे हालात

हमले के बाद पाकिस्तान सरकार ने कई प्रांतों में आपातकाल जैसे कदम उठाए हैं। सभी घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानें फिलहाल के लिए रद्द कर दी गई हैं। सुरक्षाबलों को हाई अलर्ट पर रखा गया है और सीमावर्ती क्षेत्रों में सेना की तैनाती बढ़ा दी गई है।

पीएम मोदी की निगरानी में चला ऑपरेशन

‘ऑपरेशन सिंदूर’ भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सीधी निगरानी में अंजाम दिया गया। खुफिया इनपुट्स के आधार पर की गई इस कार्रवाई में बड़ी संख्या में आतंकियों के मारे जाने की संभावना जताई जा रही है, हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि अब तक नहीं हुई है।

पाकिस्तान ने दिखाई नरमी

हमलों के बाद पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने एक इंटरव्यू में कहा, “हम भारत से युद्ध नहीं चाहते। हमने पहले ही साफ कर दिया है कि यह पाकिस्तान के हित में नहीं है। हम सिर्फ अपनी रक्षा करना चाहते हैं और उम्मीद करते हैं कि भारत भी अब कार्रवाई रोके।”

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने पहलगाम हमले का ज़िक्र करते हुए भारत और पाकिस्तान से संयम बरतने की अपील की है। वहीं, पाकिस्तान ने अमेरिका से सहायता की गुहार लगाई है। UNSC की आपात बैठक भी बगैर किसी ठोस नतीजे के समाप्त हुई।


निष्कर्ष: भारत का ‘ऑपरेशन सिंदूर’ न केवल एक जवाबी कार्रवाई थी, बल्कि यह एक संदेश भी था – आतंकवाद के खिलाफ भारत अब कोई नरमी नहीं बरतेगा। हालांकि, इस कार्रवाई ने भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव को एक नए स्तर पर पहुंचा दिया है। आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि कूटनीति से हालात काबू में आते हैं या टकराव और गहराता है।

manoj Gurjar
Author: manoj Gurjar

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