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साधार्मिक बंधुओं ने पर्युशण पर्व के चौथे दिवस पर बताया कल्पसूत्र का महत्व

बारां 15 सितम्बर। जैन श्वेताम्बर मूर्ति पूजक संघ के भंवरलाल पोरवाल, विपुल श्रीमाल, दीप जाडेजा, प्रीतम बोरडिया ने बताया कि पर्वाधिराज पर्यूषण पर्व की आराधना करवाने हेतु श्री अखिल भारतीय श्री वर्धमान जैन नवयुवक मंडल जावरा (मध्यप्रदेश) से पधारे हुए साधर्मिक बंधु राजेंद्र बोहरा एवं आषीष कुमार चत्तर ने पर्व के चौथे दिन कहा कि समुद्र में डूबकी लगाकर मनचाहे मोती निकाल लेते है। इसी प्रकार प्रत्याख्यान नाम के पूर्व रूपीसागर में से उद्धृत करके चौदह पूर्वधर आचार्यदेव श्री भद्रबहुस्वामी ने कल्पसूत्र की रचना की है।

जिस प्रकार हिन्दूओं में गीता, मुस्लिमों में कुरान, इसाईयों में बाईबिल, बौद्वों में त्रिपिटक पवित्र ग्रंथ माने जाते है, ठीक उसी प्रकार जैन समाज में कल्पसूत्र को महापवित्र माना जाता है। साधार्मिक बंधुओं ने कहा कि कल्प अर्थात् आचरण, आचरण का विचार के ऊपर प्रभाव पडता है। ‘‘जैसा खाए अन्न वैसा बने मन’’ उसी प्रकार विचार का आचरण पर प्रभाव पडता है। विचार भ्रष्टता हमको डूबा देती है। आचरण भ्रष्टता अनेक लोगों को डूबो देती है।

चन्द्रप्रभू महिला मण्डल की पदाधिकारी अरूणा शाह, यशोदा बोरडिया, पूजा गर्ग ने बताया कि शुक्रवार की स्नात्र पूजा राज्य के खान एवं गोपालन मंत्री प्रमोद जैन भाया, जिला प्रमुख उर्मिला जैन भाया परिवार की तरफ से रही तथा भोजन हेमन्त श्रीमाल (ऋषभ) परिवारजनों की तरफ से रहा। पर्युषण पर्व के दौरान शाम को नवनिर्मित श्री गुणवर्धन शंखेश्वर पार्श्वनाथ जैन श्वेताम्बर तीर्थ ट्रस्ट बमूलियाकलां पर प्रभू भक्ति के कार्यक्रम सम्पन्न हुए तथा संस्कार वेद ने स्नात्र कलश में भाग लिया। पर्यूषण पर्व पर आयोजित कार्यक्रम में नवयुवक मण्डल, महिला मण्डल सहित सकल श्रीसंघ उपस्थित रहा।

श्री चन्द्रप्रभू महिला मण्डल अध्यक्ष एवं जिला प्रमुख श्रीमती उर्मिला जैन भाया ने बताया कि सकल श्रीसंघ द्वारा प्रातः प्रतिक्रमण, भक्ताम्बर, स्नात्र पूजा, व्याख्यान/प्रवचन, सायंकालीन प्रतिक्रमण, आरती, भक्ति के कार्यक्रम आयोजित किए तथा कल्पसूत्र की पूजा कर बोहराया।

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