महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के मार्कडवाडी गांव में आज बैलेट पेपर के जरिए अनौपचारिक पुनर्मतदान हो रहा है। यह कदम चुनाव आयोग द्वारा घोषित ईवीएम परिणामों पर उठाए गए संदेह के बाद लिया गया। गांव के अधिकांश मतदाताओं, जो महा विकास अघाड़ी (एमवीए) समर्थक माने जाते हैं, ने यह कदम उठाया है। खबर लिखे जाने तक बीजेपी उम्मीदवार राम सातपुते आगे चल रहे हैं।
एमवीए समर्थकों की आपत्ति
मार्कडवाडी गांव सोलापुर जिले की मालशिरस विधानसभा सीट के अंतर्गत आता है। इस सीट से एनसीपी के उत्तम राव जानकर ने भाजपा के पूर्व विधायक राम सातपुते को हराया था। हालांकि, चुनाव आयोग द्वारा घोषित परिणामों में सातपुते को बढ़त दिखाई गई, जिससे एमवीए समर्थकों में असंतोष फैल गया। उनका दावा है कि आधिकारिक गिनती में गड़बड़ी हुई है, और वे वोटों की दोबारा गिनती या पुनर्मतदान की मांग कर रहे हैं।
पुनर्मतदान की प्रक्रिया
आज 3 दिसंबर को अनौपचारिक पुनर्मतदान के लिए एमवीए समर्थकों ने धन जुटाकर बैलेट पेपर छपवाए। इन मतपत्रों में मालशिरस विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ने वाले सभी प्रमुख उम्मीदवारों के नाम और तस्वीरें शामिल की गई हैं। गांव के लगभग 2000 पात्र मतदाताओं से इसमें हिस्सा लेने का आह्वान किया गया है।
प्रशासन और सुरक्षा व्यवस्था
सोलापुर के एसपी अतुल कुलकर्णी ने बताया कि किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए गांव में पर्याप्त पुलिस बल तैनात किया गया है। प्रशासन ने पुनर्मतदान को अनधिकृत करार देते हुए ग्रामीणों से इसमें भाग न लेने की अपील की है।
विवाद का मूल कारण
20 नवंबर को हुए मतदान में गांव के अधिकांश मतदाताओं ने जानकर और मोहित पाटिल परिवार को समर्थन दिया था। इसके बावजूद घोषित परिणामों में जानकर को 843 और सातपुते को 1003 वोट मिलने की बात कही गई, जिससे ग्रामीणों का चुनाव आयोग पर विश्वास डगमगा गया।
विभाजित राय
गांव के भाजपा समर्थकों ने इस अनौपचारिक मतदान का विरोध किया है। भाजपा समर्थक अविनाश कोडिलकर का कहना है, “यह निर्णय कुछ लोगों द्वारा लिया गया है, जो पूरे गांव की सहमति के बिना है। चुनाव खत्म हो चुका है और इस पुनर्मतदान का कोई औचित्य नहीं है।”
चुनाव आयोग का पक्ष
मालशिरस सीट के रिटर्निंग ऑफिसर विजय पंगारकर ने किसी भी प्रकार की गड़बड़ी के आरोपों को खारिज किया। उन्होंने कहा कि वोटों की गिनती पूरी पारदर्शिता के साथ की गई थी और आंकड़ों में कोई विसंगति नहीं है।
क्या कहना है स्थानीय लोगों का?
ग्रामीणों का मानना है कि बैलेट पेपर से मतदान से वास्तविक मतदाताओं की राय सामने आएगी। हालांकि, यह पूरी प्रक्रिया अनधिकृत है और इसके परिणामों का कोई कानूनी आधार नहीं होगा।