जयपुर, प्रकृति में बहुत कुछ है, बस इसे देखने, समझने की जरूरत है । आमतौर पर नये पौधों के रोपण एवं विकसित होने तक नियमित रूप से पानी की जरूरत मानी जाती है । लेकिन राजस्थान के शेखावाटी क्षेत्र के प्रगतिशील किसान ने अपनी मेहनत और लगन से नवाचारी तरीके से प्रकृति की सामर्थ का उपयोग करके यह स्थापित किया है कि सिर्फ रोपण के समय मात्र एक लीटर पानी देने के बाद अलग से कभी सिंचाई की जरूरत ही नहीं है । इस अनौखे विचार से रोपित पौधों के विकसित होने की प्रक्रिया को समझते हुये द इंडियन फाउंडेशन की टीम द्वारा लगाये गये पौधों का अवलोकन किया । इस अवसर पर विदेशी मेहमान आर्थर ने जो कि प्रकृति प्रेमी होने के साथ कृषि को समझते हुये नवाचारों का अनुभव रखते है ने इस पूरी प्रक्रिया को समझकर पदमश्री से सम्मानित सूंडाराम वर्मा की प्रशंसा करते हुये यह तकनीक कैसे काम करती है को बारीकी से समझा । टीम में शामिल पवन सिंघन ने बताया कि गत वर्ष पहली बार यहां बांस के पौधों का रोपण किया गया था । आज ये पौधे भी सिर्फ उस समय दिये गये एक लीटर पानी से केवल जिंदा ही नहीं है बल्कि बडी तेजी से विकसित भी हो रहे है । उन्होने बताया कि पद्मश्री सम्मानित सूंडाराम वर्मा के सहयोग से इस बहुपयोगी तकननीक के अनुसार वृक्षा रोपण का काम बडे स्तर पर करने की योजना पर द इंडियन फाउंडेशन कर रहा है । इस अवसर पर गणेश दत्त शर्मा ने बताया कि विभिन्न संस्थाओं एवं भामाशाहों के सहयोग से द इंडियन फाउंडेशन द्वारा गौशालाओं, गोचर भूमि सहित अन्य उपलब्ध राजकीय भूमि, स्कूल, कॉलेज, मंदिर, शमशान आदि के परिसरों में लगभग दस लाख पौधे लगवाये गये हैं । जिनमें कुछ स्थानों पर सूंडा राम के साथ मिलकर एक लीटर तकनीक से पौधो का रोपण किया गया है । उन्होमे बताया कि पौधे को जितना पानी चाहिये उतना पानी भूमि में जो नमी रहती है पौधा उससे ही अपना भोजन तैयार कर लेता है, इस तकनीक में माना जाता है कि पौधा स्वयं को बचाये रखने व विकसित होने के लिये लगातार संघर्षरत रहकर अपने आप को मजबूत बनाने की कोशिश करता है, जिसकी वजह से पौधा ज्यादा बेहतर ढंग से विकसित होता है । शर्मा ने बताया कि राजस्थान की 50 डिग्री से. से भी अधिक तापमान मे सहयोगी नर्सरी में सेव के पेड लगाये गये हैं, जिनमें गर्मी के दिनों में फल आते हैं । इस नर्सरी के प्रबंधन में संतोष देवी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं । इस नर्सरी से बडी मात्रा में सेव की पौध तैयार की जाती है ।
ब्यूरो चीफ दीपचंद शर्मा