तेलंगाना के मेडक जिले में आईसीएआर- कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा आयोजित “नेचुरल और ऑर्गेनिक किसान समिट 2024” में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भारतीय कृषि और ग्रामीण विकास की दिशा में नई राह दिखाने की बात की। उन्होंने किसानों की बेहतरी को भारत के विकास के लिए अनिवार्य बताया।
कृषि अनुसंधान और बदलाव की आवश्यकता
उपराष्ट्रपति ने कहा, “हमने कृषि और कृषि विकास पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) का बजट 8,000 करोड़ से अधिक है, लेकिन सवाल यह है कि यह अनुसंधान किसानों के जीवन में कितना बदलाव ला रहा है।” उन्होंने कृषि संस्थानों से आग्रह किया कि वे अपने कार्य किसानों के हित में केंद्रित करें।
2047 तक विकसित भारत और किसानों की भूमिका
धनखड़ ने 2047 तक भारत को विकसित देश बनाने के लक्ष्य को किसानों और ग्रामीण विकास से जोड़ा। उन्होंने कहा कि प्रति व्यक्ति आय आठ गुना बढ़ाने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए किसानों की भलाई और आय वृद्धि पर विशेष ध्यान देना होगा।
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि और सब्सिडी पर विचार
उपराष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि और उर्वरक सब्सिडी के प्रभाव को लेकर चिंतन की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि महंगाई को ध्यान में रखते हुए सब्सिडी को किसानों के खातों में सीधे भेजने का मॉडल विकसित किया जाना चाहिए, ताकि प्राकृतिक और जैविक खेती को प्रोत्साहन मिले।
राष्ट्रवाद और कृषि उत्थान
धनखड़ ने कहा, “कुछ लोग भारत की प्रगति को पचा नहीं पा रहे हैं और देश विरोधी आंदोलनों में शामिल हैं। हर भारतीय का कर्तव्य है कि वह राष्ट्रवाद और ‘राष्ट्र पहले’ की भावना से प्रेरित होकर काम करे।”
जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान, जय अनुसंधान
तीन पूर्व प्रधानमंत्रियों लाल बहादुर शास्त्री, अटल बिहारी वाजपेयी, और नरेंद्र मोदी के योगदान का उल्लेख करते हुए धनखड़ ने “जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान, जय अनुसंधान” के नारे को सशक्त करने का आह्वान किया।
किसान दिवस पर उपराष्ट्रपति का संदेश
किसान दिवस की रजत जयंती पर उपराष्ट्रपति ने देशभर के 700 से अधिक कृषि विज्ञान केंद्रों से अपील की कि वे किसानों की समस्याओं को समझें और उनके समाधान के लिए काम करें। उन्होंने कहा कि किसानों का उत्थान और ग्रामीण विकास भारत की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों पर ले जाने में सहायक होगा।