शिक्षा के लिए देशभर में पहचाने जाने वाले कोटा शहर से एक और दर्दनाक खबर सामने आई है। बिहार से नीट यूजी की तैयारी के लिए कोटा आया एक 17 वर्षीय छात्र ने आज सुबह अपने हॉस्टल के कमरे में आत्महत्या कर ली। यह घटना कुन्हाड़ी थाना क्षेत्र स्थित एक हॉस्टल की है। छात्र ने आत्महत्या से पहले एक सुसाइड नोट भी छोड़ा है, जिसमें उसने स्पष्ट रूप से लिखा है कि उसकी आत्महत्या का कारण मेडिकल प्रवेश परीक्षा नहीं, बल्कि निजी कारण हैं।
आखिरी ख्वाहिश में पहचान गोपनीय रखने की अपील
सुसाइड नोट में छात्र ने लिखा – “मेरी आत्महत्या का कोई संबंध नीट परीक्षा से नहीं है। यह पूरी तरह मेरा निजी फैसला है। कृपया मेरी और मेरे परिवार की पहचान उजागर न की जाए।” छात्र ने इस अपील के साथ अपना जीवन समाप्त कर लिया। इस आखिरी ख्वाहिश ने सभी को झकझोर दिया है, खासकर उस माहौल में जहां कोटा की सख्त शैक्षणिक दिनचर्या पहले ही मानसिक दबाव के लिए चर्चा में रही है।
पुलिस ने किया मौके का निरीक्षण
कुन्हाड़ी थाना अधिकारी अरविंद भारद्वाज के अनुसार, सुबह करीब 6 बजे उन्हें सूचना मिली कि हॉस्टल के एक कमरे से किसी छात्र के दरवाजा न खोलने की खबर है। पुलिस मौके पर पहुंची और जब कई बार दस्तक देने पर भी दरवाजा नहीं खुला तो उसे तोड़कर अंदर प्रवेश किया गया। वहां छात्र अचेत अवस्था में मिला, जिसे मृत घोषित कर मोर्चरी भेज दिया गया।
साथियों को था कुछ अजीब होने का शक
हॉस्टल संचालक और अन्य छात्रों ने बताया कि छात्र देर रात तक कमरे से बाहर नहीं निकला और सुबह भी दरवाजा नहीं खोला। आशंका होने पर उन्होंने पुलिस को सूचना दी।
कोटा में बढ़ती आत्महत्याएं – गंभीर सवाल
कोटा शहर जहां एक ओर टॉपरों की फैक्ट्री के रूप में जाना जाता है, वहीं यहां बढ़ती आत्महत्याओं की संख्या चिंता का विषय बन चुकी है। बीते कुछ वर्षों में सैकड़ों छात्र-छात्राएं पढ़ाई के दबाव या अन्य मानसिक कारणों से आत्महत्या कर चुके हैं। मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि छात्रों के लिए केवल अकादमिक सहायता ही नहीं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी विशेष ध्यान देने की जरूरत है। कोचिंग संस्थानों और हॉस्टल्स में परामर्श सुविधाओं की कमी भी इस दिशा में एक बड़ा कारण मानी जा रही है।

Author: manoj Gurjar
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