-गांवों में सबसे पहले 40 वर्ष पुराना है पशु चिकित्सालय
-ग्रामीणों ने पशु चिकित्सक व अन्य कर्मचारी लगाने की मांग
बाघोली। गांव में 40 वर्षों से पहले का पुराना राजकीय पशु चिकित्सालय में तीन वर्ष से डॉक्टर व पशुधन सहायक नहीं होने से पशुपालक पशुओं के इलाज के लिए काफी परेशान हो रहे हैं। पशुओं का इलाज निजी डॉक्टर के पास करवाना पड़ता है। जो महंगा पड़ता है।सरकारी योजना का भी कोई लाभ नहीं मिल रहा है। पशुपालन विभाग के खिलाफ ग्रामीणों के विरोध प्रदर्शन के बाद में एक कंपाउंडर एक सप्ताह में तीन दिन के लिए लगा रखा है। चार दिन पशु चिकित्सालय बंद रहता है। जो भी पशुपालक भैस, बकरी,गाय आदि को लेकर पशु चिकित्सालय पर आता है तो ताला लटका मिलता है।
कई पशुपालक तो आना ही बंद कर दिया। ग्रामीणों ने पशु चिकित्सालय में डॉक्टर व अन्य कर्मचारी लगाने के लिए पूर्व राज्य मंत्री व विधायक राजेंद्र गुढा को भी कई बार अवगत करवा दिया। लेकिन तीन वर्ष में कुछ भी नहीं किया। जिससे ग्रामीणों में आक्रोश है।ग्रामीणों का कहना है कि इससे पहले सिरोही गांव के डॉक्टर भवानी सिंह ने कई वर्षों तक सेवाएं दी थी। जिस समय हर रोज अस्पताल खुलता था जो भी पशु आता था उसका तुरंत इलाज होता था। इसके बाद में एक डॉक्टर 2 साल तक सेवा दी। बाद में उसका भी तबादला हो गया। जो पशुधन सहायक था। उसका कार्यकाल समाप्त होने पर उसकी जगह भी किसी ने नहीं लगाया। यह पशु अस्पताल 40 वर्ष आसपास के गांवों में पुराना अस्पताल है।
इस अस्पताल के नीचे जोधपुरा, हरिपुरा, राजीवपुरा,रामनगर, बाघोली आदि आते हैं। मणकसास,सराय, जहाज आदि उप पशु चिकित्सालय केन्द्र इसी के नीचे आते हैं। ग्रामीणों ने झुंझुनू के संयुक्त निदेशक पशुपालन अधिकारी को भी डॉक्टर व कर्मचारी लगाने का कई बार ज्ञापन दे दिया लेकिन डॉक्टर नहीं होने की बात कह कर पल्ला झाड़ लेता है। ग्रामीणों ने बाघोली के पशु चिकित्सालय में डॉक्टर व कर्मचारी लगाने व पशु अस्पताल को भी नियमित खोलने की भी मांग की है।