-फजर की नवाज तक चला जोरदार कव्वाली मुकाबला
बारां 10 अक्टूबर। सोमवार की रात्रि डोल मेला रंगमंच पर हुआ कव्वाली मुकाबले का दर्शकों ने देर रात जमकर लुत्फ उठाया। देशभक्ति के मिसरो के साथ दोनो कव्वालों के मध्य हुए जोरदार मुकाबले का श्रौताओं ने फजर की नवाज तक आनन्द उठाया और कव्वालों को दिल दिल खोलकर नजराने पेश किये। रब की इबादत के बाद कानपुर से आये कव्वाल शरीफ परवाज ने अपनी टीम के साथ मेरे मौला, मेरे भारत को सलामत रखना…. जैसे कलाम के साथ दर्शकों में देशप्रेम का जज्बा जगाया। तो उन्होने मेरे मौला, मेरे मौला… कव्वाली पर दर्शकों की खूब दाद पाई। तमन्ना है, हिन्दु मुसलमां खाये इक थाली में, नफरत बह जाये गंदी नाली में…. की प्रस्तुति भी दर्शकों को बांधे रखने में सफल हुई। बनारस की मशहूर कव्वाला रूकसाना बनो- रहते है रसूलों के सरदार मदीने में ….. की प्रस्तुति ने महफिल में चार चांद लगा दिये। देररात दोनो कव्वालों के मध्य मुकाबला हुआ जिसमें चुटीली कव्वाली के माध्यम से पहले तकरार एवं फिर इकरार और इजहार का अनूठा प्रस्तुतिकरण किया गया।
रूकसाना बानो ने – अपनी अदाओं का चला के जादू, हमंे आशिक को पागल बनाना आता है मिसरें पर कव्वाल शरीफ परवाज के जवाब – हमकों भी महफिल सजाना आता है, इन नजरों से तीर चलाना आता है… पर श्रौता दिवाने हो गये। रूकसाना बानो ने अन्तिम दौर में मां पर गाये – मां की गोदी में खेले पेगम्बर भी, कन्हैया भी सोये है मां की गोदी में….. से दर्शकों को भावविभोर कर दिया। सुबह पांच बजे तक चले कव्वाली मुकाबले में दर्शकों ने दोनो कव्वालों को दिल खोलकर नजराने पेश किये।
कवि सुरेन्द्र यादवेन्द्र ने लूटी महफिल
नगर परिषद की ओर से आमंत्रित विशिष्ठ अतिथि के तौर पर मंच पर पहुंचे ख्यातनाम कवि सुरेन्द्र यादवेन्द्र अपने शेरों के दम पर कव्वाली की महफिल लूट ली। मुकाबले के दौरान जब कव्वाल शरीफ परवाज ने अपने शेरों के माध्यम से उन्हे छेड़ा तो यादवेन्द्र ने उन्हे माकूल जवाब देते हुए- रूकसाना ने आपको जरा सा क्या छेड़ दिया, आप रूस तो रूकसाना यूक्रेन हो गई…. पर पाण्डाल में तालियों का पहाड़ खड़ा हो गया। उन्होने रूकसाना बानों का पक्ष लेते हुए- यह मुकाबला देखकर मुझको लगा ऐेसे, जैसे जरसी गाय ने भूचर्या फफेड दिया… पर श्रौता जोश मे आ गये। करीब दस मिनट तक कव्वालों और यादवेन्द्र की चुटीली नोंकझोक पर भी दर्शकों में ठहाके गूंजते रहे।