राजस्थान कांग्रेस का चर्चित चेहरा सचिन पायलट इस बार टोंक विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे रहे हैं. इस बार उनका मुकाबला बीजेपी के अजित सिंह मेहता से है. गुर्जर समाज से ताल्लुक रखने वाले सचिन पायलट का राज्य में काफी प्रभाव है. पिछले पांच सालों में वह अशोक गहलोत की टीम में नजर आये. सीएम पद की उनकी दावेदारी लगातार रही है, लेकिन इंतजार करने का सबक उन्होंने कांग्रेस नेताओं से सीखा है. इस बार, वह फिर से मुख्यमंत्री बनने की उम्मीद के साथ चुनाव में उतरे हैं
सचिन पायलट ने 2018 में टोंक सीट से 54,000 के अंतर से चुनाव जीता था. वसुंधरा राजे के करीबी माने जाने वाले बीजेपी के यूनुस खान ने उन्हें चुनौती दी. सचिन पायलट का टोंक और दौसा समेत कई इलाकों में प्रभाव है. गुर्जर समुदाय के अलावा अन्य समुदायों ने भी उन्हें अपना समर्थन दिया. वह युवा नेता के रूप में लोकप्रिय हैं. हालांकि, भाजपा से मुकाबले से पहले उन्हें बीते 5 सालों में कांग्रेस की आतंरिक कलह का ही सामना करना पड़ा है।
गौरतलब है कि सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच विवाद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी संबोधित किया था. एक चुनावी रैली में उन्होंने कहा कि सचिन पायलट के पिता राजेश पायलट की मौत हो चुकी है, लेकिन कांग्रेस अभी भी उन्हें सजा दे रही है. उन्होंने कई बार गुर्जरों का नामकरण भी किया। इस तरह बीजेपी ने गुर्जर समुदाय को लुभाने की कोशिश की. ऐसे में देखना होगा कि सचिन पायलट अपनी सीट पर कितने अंतर से जीतते हैं और उनके समर्थकों की क्या स्थिति रहती है।