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Rajasthan : राइट टू हेल्थ पर छिड़ा संग्राम, निजी अस्पतालों में सरकारी योजनाओं का बहिष्कार

राइट टू हेल्थ बिल को लेकर गहलोत सरकार के खिलाफ राजस्थान में विवाद और बढ़ गया है, जहां निजी अस्पताल बिल माफ करने के लिए आगे आए हैं। खबरों के मुताबिक बिल के विरोध में रविवार को राज्य के सभी निजी अस्पतालों में हड़ताल का ऐलान किया गया था. वहीं शुक्रवार तक दो दलों में बंटी डॉक्टर्स यूनियन भी इस कानून के खिलाफ मंच पर आ गई और बिल को हटाने के लिए सोसाइटी ऑफ प्राइवेट हॉस्पिटल्स एंड नर्सिंग होम्स को ज्वाइंट कमेटी का समर्थन मिला है.

बता दें कि बिल के विरोध में रविवार से राजस्थान के सभी अस्पतालों में आपातकालीन कक्ष सहित चिकित्सा सेवाएं बंद रहेंगी. मालूम हो कि राजस्थान सरकार 21 मार्च को इस कानून को विधानसभा में पेश करेगी, वहीं बताया जा रहा है कि इसी दिन चर्चा के बाद कानून पारित किया जाएगा.

डॉक्टर अब कह रहे हैं कि सरकार बिल माफ कर देगी और अस्पताल सरकार पर अपने वादों से मुकरने का आरोप लगा रहे हैं. वहीं, सरकारी और निजी अस्पतालों के बीच होने वाली मारामारी में मरीजों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, जहां वे इलाज के लिए सरकारी विभागों में जाते हैं। आपको बता दें कि राज्य के अस्पतालों में हर दिन दो लाख से ज्यादा मरीज इलाज के लिए आते हैं. इसके अलावा 20 हजार मरीज अस्पताल में भर्ती हैं।

दूसरी ओर, निर्णय के बाद, एचआरटी के संबंध में डॉक्टरों द्वारा स्थापित संपर्क समिति ने सरकारी योजनाओं और आपात स्थिति और सार्वजनिक अस्पतालों सहित सभी प्रकार की सेवाओं में रोगियों के इलाज को रोकने का निर्णय लिया। याद दिला दें कि नर्सेज यूनियन को शनिवार को सहकारी सेवा समिति की मंजूरी मिल गई है, जिसके बाद कई अस्पतालों ने सेवा रद्द कर दी है.

प्रेस से बात करते हुए समिति के अध्यक्ष डॉ. सुनील चुघ ने कहा कि सरकार से अच्छी चर्चा के बाद भी अधिकारी हमारी मांगों को नहीं सुन रहे हैं और हमारे द्वारा दिये गये बिन्दुओं पर अमल नहीं किया जा रहा है। गौरतलब हो कि बिल के विरोध में प्राइवेट हॉस्टल एंड नर्सिंग होम सोसायटी ने गुरुवार को बंद का ऐलान किया था, लेकिन राज्य के 7 हजार से ज्यादा निजी अस्पतालों ने बंद नहीं रखा.

गौरतलब है कि गहलोत सरकार 21 मार्च को विधानसभा में विधेयक पेश करेगी, जिसके उसी दिन विधानसभा से पारित होने की संभावना बताई जा रही है. वहीं इससे पहले राइट टू हेल्थ को लेकर विधानसभा की सेलेक्ट कमेटी ने इस पर मुहर लगा दी थी जिसके बाद प्रवर समिति की बैठक में सहमति बनते ही 15 मार्च को विधानसभा में राइट टू हेल्थ बिल पेश कर दिया गया था.

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