राजस्थान में टीबी मुक्त राज्य बनाने के संकल्प को आगे बढ़ाते हुए भजनलाल सरकार ने एक महत्वपूर्ण पहल की है। मंगलवार से प्रदेश के झुंझुनू और भीलवाड़ा जिलों में पायलट प्रॉजेक्ट के रूप में एडल्ट बीसीजी वैक्सीनेशन अभियान शुरू किया गया है। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य टीबी की रोकथाम करना और संवेदनशील आबादी को सुरक्षा प्रदान करना है।
83 हजार से अधिक लोगों ने कराया रजिस्ट्रेशन
टीबी विन एप के माध्यम से अब तक 83 हजार से अधिक लोगों ने इस टीकाकरण अभियान के लिए अपना पंजीकरण कराया है। इस अभियान के अंतर्गत 18 वर्ष से अधिक आयु के चयनित व्यक्तियों को बीसीजी का टीका लगाया जाएगा। स्वास्थ्य विभाग ने इस प्रक्रिया को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए व्यापक इंतजाम किए हैं।
किन्हें लगाया जाएगा टीका?
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) डॉ. छोटेलाल गुर्जर ने जानकारी देते हुए बताया कि यह टीका उन लोगों को लगाया जाएगा, जिन्होंने पिछले पांच वर्षों में टीबी का इलाज लिया है, टीबी मरीजों के संपर्क में रहने वाले लोग, धूम्रपान करने वाले व्यक्ति, मधुमेह (डायबिटीज) से ग्रसित लोग और 60 वर्ष से अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिक इस अभियान में शामिल होंगे।
किन्हें नहीं लगेगा टीका?
हालांकि, कुछ विशेष परिस्थितियों में इस टीके को लगाने की अनुमति नहीं होगी। वर्तमान में टीबी का इलाज करवा रहे मरीज, कमजोर इम्यूनिटी वाले लोग, इम्युनोसप्रेसिव दवाएं ले रहे मरीज, एचआईवी संक्रमित व्यक्ति, गंभीर संक्रमण वाले मरीज, 18 वर्ष से कम आयु के लोग, पिछले तीन महीनों में ब्लड ट्रांसफ्यूजन करवाने वाले, गर्भवती महिलाएं एवं स्तनपान कराने वाली माताओं को इस टीके से वंचित रखा गया है।
टीकाकरण केंद्रों की व्यवस्था
जिले भर में सभी उप स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC), सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC), उप-जिला अस्पताल (SDH) एवं जिला अस्पतालों में यह टीकाकरण किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, जिन लाभार्थियों को प्रारंभिक चरण में टीका नहीं लग पाया है, उन्हें MCHN दिवस पर यह टीका लगाया जाएगा। साथ ही, नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के तहत संचालित सभी केंद्रों पर टीबी वैक्सीनेशन की सुविधा भी उपलब्ध रहेगी।
राजस्थान सरकार का संकल्प
राजस्थान सरकार की यह पहल राज्य को टीबी मुक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है। यदि यह पायलट प्रॉजेक्ट सफल होता है, तो इसे पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा। स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए जागरूकता अभियानों के साथ-साथ उचित निगरानी की व्यवस्था भी की गई है। सरकार का यह प्रयास न केवल टीबी संक्रमण की दर को कम करेगा बल्कि नागरिकों के स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने में भी सहायक होगा।
