बिहार विधानसभा चुनाव 2025: सीटों पर सियासी संग्राम तेज, NDA-महागठबंधन दोनों में दरार के संकेत

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, राज्य की राजनीति में सियासी गर्मी चरम पर पहुंचती जा रही है। एनडीए और महागठबंधन, दोनों ही प्रमुख गठबंधनों के भीतर सीट बंटवारे को लेकर घमासान मचा हुआ है, जिससे साफ हो गया है कि चुनाव से पहले दलों के बीच अंदरूनी खींचतान गहराती जा रही है।

NDA में चिराग बनाम मांझी की तकरार
लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान ने हाल ही में आरा में आयोजित एक रैली में ऐलान किया कि उनकी पार्टी राज्य की सभी 243 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इस घोषणा ने एनडीए में हलचल मचा दी है। एनडीए के घटक दल हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के संरक्षक और केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी ने इस पर तंज कसते हुए कहा, “जो मजबूत होता है, वो बोलता नहीं है।” उन्होंने चिराग के काफिले पर भी कटाक्ष करते हुए कहा कि उनमें ‘नारे लगाने वालों’ की गाड़ियां ज्यादा होती हैं।

महागठबंधन में माले की दावेदारी से बढ़ी RJD की परेशानी
उधर, महागठबंधन में भी दरारें उभर रही हैं। भाकपा (माले) ने एलान किया है कि वे 40 से 45 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। यह ऐलान ऐसे वक्त में आया है जब 12 जून को गठबंधन की को-ऑर्डिनेशन कमेटी की महत्वपूर्ण बैठक प्रस्तावित है। माले की यह मंशा राजद और तेजस्वी यादव की रणनीति के लिए चुनौती बन सकती है, खासकर तब जब माले का मजबूत जनाधार दलित और ग्रामीण इलाकों में माना जाता है।

“बदलें सरकार, बदलें बिहार” अभियान की शुरुआत
माले के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने बताया कि 11 से 14 जून तक पार्टी राज्य के विभिन्न हिस्सों में जनसभाएं करेगी। इसके अलावा 12 से 27 जून के बीच चार प्रमंडलों—शाहाबाद, मगध, चंपारण और तिरहुत—में यात्राएं निकाली जाएंगी। इन यात्राओं के दौरान कार्यकर्ता जनता के बीच जाकर सरकार की विफलताओं को उजागर करेंगे।

बड़े दलों के लिए चुनौती बना सहयोगियों का रुख
एनडीए में भाजपा और जेडीयू के सामने चिराग की खुली बगावत चिंता का विषय है, तो वहीं महागठबंधन में माले की स्वतंत्र राजनीतिक मंशा राजद की राह कठिन बना रही है। दोनों ही गठबंधनों के लिए सहयोगी दलों का यह आक्रामक रुख चुनावी गणित को जटिल बना रहा है।

नजरें अब आगे की बैठकों पर टिकीं
अब सभी की निगाहें 12 जून को महागठबंधन की बैठक और एनडीए की अंदरूनी चर्चाओं पर टिकी हैं, जहां इस सियासी खींचतान का कोई हल निकलने की संभावना है या फिर मतभेद और गहरे हो सकते हैं। चुनावी साल की शुरुआत में ही राजनीतिक दलों का आर-पार का मूड यह संकेत दे रहा है कि बिहार की सियासत में इस बार की जंग बेहद दिलचस्प और टकरावपूर्ण होने वाली है। चाहें चिराग की 243 सीटों की हुंकार हो या माले की स्वतंत्र दावेदारी—NDA और महागठबंधन दोनों के लिए यह चुनाव आसान नहीं रहने वाला।

manoj Gurjar
Author: manoj Gurjar

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