ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतीय सेना अब अपनी ताकत को और मजबूत करने की दिशा में तेजी से कदम उठा रही है। इसी क्रम में, भारतीय रक्षा मंत्रालय ने स्वदेशी क्विक रिएक्शन सरफेस टू एयर मिसाइल (QRSAM) सिस्टम की तीन रेजिमेंट खरीदने के प्रस्ताव पर विचार शुरू कर दिया है। इसकी अनुमानित लागत लगभग ₹30,000 करोड़ बताई जा रही है।
क्या है QRSAM सिस्टम?
QRSAM एक अत्याधुनिक और पूरी तरह स्वदेशी एयर डिफेंस सिस्टम है, जिसे डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) ने विकसित किया है। यह प्रणाली दिन और रात, दोनों समय में काम करने में सक्षम है और दुश्मन के हवाई हमलों को तुरंत ट्रैक कर जवाब देने की क्षमता रखती है। QRSAM की रेंज लगभग 30 किलोमीटर है और इसे तेज़ी से एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जा सकता है।
खासियतें जो बनाती हैं QRSAM को बेजोड़:
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मूविंग टारगेट ट्रैकिंग: यह प्रणाली चलती हुई हवाई लक्ष्यों को ट्रैक कर सकती है।
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तेज प्रतिक्रिया क्षमता: सिस्टम अल्प समय में लक्ष्य को पहचानकर मिसाइल लॉन्च कर सकता है।
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मल्टी-प्लेटफॉर्म सहयोग: QRSAM, भारत के मौजूदा एयर डिफेंस सिस्टम जैसे आकाश, S-400 और आयरन ड्रोन के साथ समन्वय कर सकता है।
ऑपरेशन सिंदूर की सीख बनी मजबूती का आधार
7 से 10 मई के बीच चले ऑपरेशन सिंदूर ने भारतीय वायु रक्षा तंत्र को एक अभेद किले के रूप में प्रस्तुत किया। इसमें आकाशतीर, S-400 और आयरन ड्रोन जैसी प्रणालियों ने प्रमुख भूमिका निभाई। अब QRSAM को तैनात कर इस किले को और मजबूत किया जा रहा है।
भविष्य की तैयारी: 350 KM रेंज और D4S सिस्टम
DRDO 6 किलोमीटर रेंज वाली बहुत कम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली के साथ-साथ 350 किलोमीटर तक मार करने वाली प्रणाली पर भी काम कर रहा है, जो 2029 तक सेना में शामिल की जाएगी। इसके अलावा, भारत का ‘ड्रोन डिटेक्ट, डिटर और डिस्ट्रॉय सिस्टम’ (D4S) भी चर्चा में है, जो इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग और लेजर हथियारों से दुश्मन के ड्रोन को निष्क्रिय करने की क्षमता रखता है। D4S ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के ड्रोन हमलों को पूरी तरह विफल किया था।
अंतरराष्ट्रीय रुचि: भारत का डिफेंस सिस्टम बना ग्लोबल आकर्षण
भारत की स्वदेशी एयर डिफेंस क्षमताएं अब दुनिया का ध्यान आकर्षित कर रही हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, ताइवान (रिपब्लिक ऑफ चाइना) ने भारत से D4S सिस्टम खरीदने की इच्छा जताई है। यह दर्शाता है कि भारत अब केवल आयातक नहीं, बल्कि रक्षा उपकरणों का वैश्विक निर्यातक भी बन रहा है।
