वाशिंगटन, 25 जून 2024 – अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक ऐसी घोषणा की है जिसने वैश्विक व्यापार को हिलाकर रख दिया है। एयर फोर्स वन में पत्रकारों से बातचीत के दौरान ट्रंप ने कहा कि अमेरिका अब आने वाले दिनों में “पूरी दुनिया पर टैरिफ (आयात शुल्क) लगाएगा”। यह निर्णय अमेरिका की पिछली व्यापार नीतियों से एकदम अलग और कहीं ज्यादा व्यापक है।
“हमें ठगा गया, अब सख्त कार्रवाई होगी!”
ट्रंप ने अपने बयान में कहा, “दुनिया के देशों ने हमें ऐसा ठगा है जैसा इतिहास में कभी नहीं हुआ। अब हम उन पर टैरिफ लगाएंगे, लेकिन फिर भी यह उनके साथ अच्छा व्यवहार ही होगा।” उन्होंने साफ किया कि यह नीति सिर्फ कुछ चुनिंदा देशों तक सीमित नहीं होगी, बल्कि सभी देशों पर लागू होगी।
“डर्टी 15” की लिस्ट अब बेमानी?
इससे पहले अमेरिकी ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेंट ने 15 देशों की एक सूची तैयार की थी, जिन पर “अनुचित व्यापार नीतियों” का आरोप था। इन देशों को “डर्टी 15” नाम दिया गया था और माना जा रहा था कि अमेरिका सिर्फ इन्हीं पर टैरिफ लगाएगा। लेकिन ट्रंप की नई घोषणा ने इन अटकलों को खारिज कर दिया है।
वैश्विक व्यापार पर क्या होगा असर?
अमेरिका के इस कदम से चीन, यूरोपीय संघ, भारत और जापान जैसे प्रमुख व्यापारिक भागीदारों को बड़ा झटका लग सकता है। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि इससे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला बाधित हो सकती है और महंगाई बढ़ने की आशंका है। ट्रंप ने हालांकि दावा किया कि अमेरिका “पहले से ज्यादा उदार” रवैया अपनाएगा।
भारत पर क्या पड़ेगा प्रभाव?
भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंध पहले से ही कई मुद्दों पर तनावपूर्ण रहे हैं। अगर अमेरिका भारतीय सामानों पर अतिरिक्त टैरिफ लगाता है, तो इससे सॉफ्टवेयर, फार्मा और हीरा जैसे क्षेत्रों को नुकसान हो सकता है। हालांकि, ट्रंप ने पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करते हुए कहा था कि “मोदी बड़े चालाक हैं”, जिससे लगता है कि भारत के साथ उनकी रणनीति अलग हो सकती है।
“युद्ध जैसी स्थिति हो सकती है” – विशेषज्ञों की चेतावनी
व्यापार विश्लेषकों का कहना है कि अगर अमेरिका वास्तव में ऐसा करता है, तो अन्य देश भी जवाबी टैरिफ लगा सकते हैं, जिससे व्यापार युद्ध जैसी स्थिति पैदा हो सकती है। चीन पहले ही अमेरिकी टैरिफ के खिलाफ WTO में शिकायत दर्ज करा चुका है।
निष्कर्ष:
ट्रंप की यह घोषणा अमेरिका की “अमेरिका फर्स्ट” नीति का हिस्सा लगती है, लेकिन इसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं। अब देखना होगा कि क्या दूसरे देश इसका विरोध करते हैं या फिर नई व्यापारिक सौदेबाजी की मेज पर आते हैं।

Author: manoj Gurjar
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