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मोटे अनाज के फायदे बताए, बढ़ावा देने का आह्वान, जिला स्तरीय कार्यशाला सम्पन्न

कोटा 4 अक्टूबर। खाद्य एवं पोषण सुरक्षा पौष्टिक अनाज योजनान्तर्गत कृषि विभाग द्वारा बुधवार को राज्य खाद्य प्रबंध संस्थान में जिला स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिला परिषद ममता तिवाडी, जिले के प्रगतिशील कृषकों, मोटे अनाजों से संबंधित स्वयं सहायता समूह, एफपीओ, स्वयं सेवी संस्था, मोटे अनाजों पर उत्कृष्ठ कार्य कर रहे उद्यमी, कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकांे एवं कृषि व उद्यान विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने भाग लिया।

मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिला परिषद ने बताया कि शरीर को स्वस्थ एवं निरोगी रखने के लिये मोटे अनाज काफी महत्वपूर्ण हैं। मोटे अनाज पोषण से भरपूर होने के कारण रोगांे के प्रति बचाव ही उपचार है। उन्होंने स्वीप कार्यक्रम अन्तर्गत आवश्यक मतदान के लिए प्रेरित किया एवं अधिक से अधिक मतदान करने के लिए कार्यशाला में उपस्थित सभी प्रतिभागियों को शपथ दिलाई।

संयुक्त निदेशक कृषि विस्तार खेमराज शर्मा ने मोटे अनाजों का पौषण में महत्व, मोटे अनाजों के उत्पादांे का घरेलू उपयोग में बढोतरी व जिले में मोटे अनाजों के क्षेत्रफल एवं उत्पादन की स्थिति तथा राज्य सरकार द्वारा वितरित किये गये बाजरा एवं ज्वार मिनीकिट्स के बारे में जानकारी दी। मोटे अनाज शरीर में ट्राइगिल्सरोइड की मात्रा को कम कर हृदय रोग की संभावनाओं को कम कर देते हैं।

अनुसंधान निदेशक कृषि विश्वविद्यालय डॉ. प्रताप सिंह ने बताया कि राजस्थान मोटे अनाजों के अन्तर्गत भारत का सबसे अग्रणी राज्य है। यदि राज्य में मोटे अनाजों के विपणन, मूल्य संवर्धन, प्रसंस्करण एवं मोटे अनाजों के प्रति लोगों को जागरूक कर बाजार मांग को बढाया जाये तो राजस्थान उत्पादन के साथ-साथ अन्य क्षेत्रों में भी देश का अग्रणी राज्य हो सकता है। केन्द्रीय मृदा एवं जल संसाधन अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. रामावतार जाट ने मोटे अनाजों के उत्पादन की वैज्ञानिक तकनीक एवं मोटे अनाजों की जिले के लिए अनुशंसित किस्मों के बारे में जानकारी दी। कोटा की फल एवं सब्जी मण्डी सचिव हरिओम बैरवा ने कृषि प्रसंस्करण एवं निर्यात प्रोत्साहन नीति 2019 के बारे में बताया। कृषि विज्ञान केन्द्र की विषयवस्तु विशेषज्ञ डॉ. गुंजन सनाढ्य ने मोटे अनाजों के मूल्य संवर्धन एवं पौष्टिकता के बारे में जानकारी दी।

कार्यशाला में मोटे अनाजों के क्षेत्र में उत्कृष्ठ कार्य कर रहे कृषि उद्यमियों ईशिता जैन एवं बेबीरानी ने मोटे अनाजों के मूल्य संवर्धन एवं इनके प्रसंस्करण पर किये जा रहे कार्यों से अवगत कराया। कार्यशाला में संयुक्त निदेशक उद्यान डॉ. पीके सिंह, परियोजना निदेशक (विस्तार) रमेश चन्द जैन, उप निदेशक उद्यान जेपी पाठक, बीज प्रमाणीकरण अधिकारी डॉ. जेके कुल्मी, उप निदेशक उद्यान आनन्दीलाल मीणा, उप निदेशक राज्य खाद्य प्रसंस्करण संस्थान शंकरलाल जांगिड, उप निदेशक कृषि सत्येन्द्र पाठक, उप निदेशक सांख्यिकी अनिल शर्मा, सहायक निदेशक कृषि सांगोद खेमराज मीणा एवं अन्य विभागीय अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने भाग लिया।

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