कोटा 17 अक्टूबर। आधुनिक शिक्षा के जनक अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के संस्थापक सर सैयद अहमद खान के जन्म दिन को आज दारूल उलूम रजा ए मुस्तुफा विज्ञान नगर में आजादी के अमृत महोत्सव के रुप में मनाया गया।
कार्यक्रम की शुरूआत करते हुए अब्दुल मजीद अंसारी ने कहा कि सर सैयद अहमद खान ने अलीगढ़ में मुस्लिम विश्वविद्यालय की स्थापना कर, मुसलमानो के लिए शिक्षा को बहुत जरूरी बताया। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के संस्थापक कहे जाने वाले सर सैयद अहमद खान ने अलीगढ़ में एक छोटा सा कॉलेज शुरू किया था, जो बाद में यूनिवर्सिटी में बदल गया. सैयद अहमद मुंह में चांदी का चम्मच लेकर पैदा नहीं हुए थे बल्कि उन्हें परिवार का खर्च उठाने के लिए बहुत कम उम्र से नौकरी शुरू करनी पड़ी थी. दरअसल 22 साल की उम्र में उनके पिता का निधन हो गया. इसके बाद उन्होंने नौकरी करनी शुरू कर दी.
मदरसा अध्यापिका तबस्सुम ने कहा कि एक स्कूल से कॉलेज फिर युनिवर्सिटी की स्थापना आज के युग में हमारे लिए दूर दृष्टि वाली सोच से उठाया गया कदम है। इस अवसर पर काजी बिरादरी के अध्यक्ष मेजर अशफ़ाक काजी ने बताया कि हमारे लिए हमारे महापुरुष हमेशा मार्ग निदेशक रहे है। उन्होने आधुनिक शिक्षा का रास्ता खोल सबसे पहले मुसलमानों को अंग्रेजी पढ़ाने का रास्ता खोला। आधुनिक शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए कॉलेज की नींव डाली तो खुद धार्मिक मुसलमानों ने उनकी बहुत आलोचना की. मुसलमान उन्हें कुफ्र का फ़तवा देते रहे. तब उन्हें मौलवी काफिर भी कहते थे.
आज़ादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम संयोजक नूर अहमद पठान ने कहा कि इन कार्यक्रमों का मुख्य उद्देश्य है कि मुस्लिम समाज को देश की आज़ादी मे योगदान देने वालों से अवगत करवाया जाए। दारूल उलूम रजा ए मुस्तुफा के कार्यवाहक अध्यक्ष इंजि. हाजी सिराज अहमद अंसारी ने कहा हमारे लिए शिक्षा बहुत जरूरी है। शिक्षा ही हमें प्रगति, तरक्की से जोड़ती हैं। कार्यक्रम में अंसारी दर्पण के सम्पादक रिजवानुद्दीन अंसारी भी मौजूद थे। इस अवसर पर मदरसे के बच्चों ने कुरान की तिलावत व नात भी पढ़ी।