ब्यूरो चीफ दीपचंद शर्मा अलवर
रक्तवीर बनने का सफरपूरी कहानी संगीता गौड़ की ज़ुबानी
रुक जाना नहीं तू कही हार के
आपके द्वारा किया गया रक्तदान किसी के जीवन के लिए वरदान हो सकता है
संगीता गौड़ प्रधानाचार्य राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय बालेटा अलवर मे कार्यरत हैं। उन्होने बताया कि आज मै आपको अपने रक्तदान के शुरू से अब तक के सफर के बारे में कुछ बताने जा रही हूँ। रक्तदान एक ऐसा दान है जिसे करने से हम किसी व्यक्ति की जान बचा सकते है। रक्तदान को सभी दान से बड़ा बताया गया है। हमारे द्वारा किया गया रक्तदान किसी जरूरतमंद के काम आता है। रक्तदान एक दयालुता का कार्य है जो सैकड़ो लोगों की जान बचाता है। आपके जीवन के मात्र 15 मिनट किसी की पूरी जिंदगी बचा सकते है। आपके रक्त की कुछ बूँदे किसी के लिए खुशियों का सागर बन सकती है। रक्तदान करने से हमें किसी भी तरह की कोई परेशानी नहीं होती है। बल्कि रक्तदान करने से हमारे शरीर मे नए रक्त का निर्माण होता है और एक नए जोश से हम अपना कार्य करते है । अपने रक्त का दान करे इस जीवन का कल्याण करे । संगीता गौड ने बताया कि मेरे द्वारा अब तक किये गये रक्तदान सफर के बारे मे बताना चाहूँगी। मैंने सर्वप्रथम रक्तदान सन 2005 मे किया था। उस समय एक ऐसा हादसा मेरे सामने हुआ जिसने मुझे अंदर तक तोड़ दिया था। बात मेरी पहली पोस्टिंग के दौरान की है। उस समय मै वरिष्ठ अध्यापिका विज्ञान के पद पर राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय टहला मे कार्यरत थी। किसी परिचित से मिलने के लिए मुझे टहला के सरकारी अस्पताल मे जाना हुआ। तभी कुछ लोग एक्सीडेंट मे घायल हुए व्यक्ति को अस्पताल ले कर आये जिसकी हालत बहुत नाजुक थी, उसके बहुत सारा रक्त निकल रहा था। तुरंत इमरजेंसी वार्ड मे शिफ्ट किया गया। अस्पताल मे मौजूद डॉक्टर एवं उनकी टीम के लोग उस व्यक्ति के उपचार मे लग गये। डॉक्टर्स ने उसकी हालत देखते हुए उसके परिजनों से कहा की इसे रक्त चढ़ाना पड़ेगा आप ब्लड का इंतजाम करो जितना जल्दी हो सके। उसके परिजन ये बात सुनकर घबरा गये और वो अपने स्तर पर ब्लड के प्रयास मे लग गये लेकिन किसी ने भी ब्लड नही दिया और कही से भी उन्हें ब्लड नहीं मिल पाया और उस घायल व्यक्ति की मृत्यु हो गयी। उस घटना से एक सीख लेते हुए मैंने उसी दिन ये प्रण लिया की अगर मुझे पता लगा की किसी जरूरतमंद को ब्लड की जरुरत है तो उसकी जान बचाने के लिए मै अपने शरीर से रक्त की एक एक बूँद उस व्यक्ति को दे दूंगी। उस दिन से मैंने रक्तदान की राह को अपना लिया और उस राह को ऐसा अपनाया की आज भी मै उस राह पर चल रही हूँ। मेरे इस फैसले मे मेरे माता पिता एवं मेरे पति ने मुझे बहुत साथ दिया और गर्व से कहा की आज तुम्हारे द्वारा लिए गये इस फैसले से हमें बहुत गर्व हो रहा है। अपने इस फैसले पर हमेशा रहना चाहे कैसी भी परिस्थिति हो कभी पीछे मत मुड़ना। तब से ले कर आज तक मै कभी भी किसी जरूरतमंद की सहायता करने से नहीं रुकी। ज़ब भी मुझे किसी जरूरतमंद का रक्त के लिए फ़ोन आता है या कही से पता लगता है तो मै अपने सारे जरुरी कामों को छोड़ कर कर व्यक्ति को ब्लड उपलब्ध करवाने मे लग जाती हूँ। उस कार्य को करने मे एक ऐसी धुन सवार हो जाती है की जब तक उस व्यक्ति को ब्लड नहीं मिल जाता तब तक मै चैन की सांस नहीं ले पाती हूँ । रक्तदान है सबसे ऊँचा इसके जैसा दान ना दूजा । ज़ब भी किसी का फ़ोन रक्त के लिए आता है मै उस कार्य मे लग जाती हूँ। पिछले वर्ष 27 जनवरी को रात के 11 बजे मै अपने परिवार के साथ अपना जन्मदिन मनाने की तैयारी कर रही थी। उसी समय किसी जरूरतमंद व्यक्ति का मेरे पास फ़ोन आया की हमें ब्लड की बहुत जरुरत है और हमें कही से भी ब्लड नहीं मिल पा रहा है। बहुत उम्मीद के साथ मैंने आपको फ़ोन किया है की एक आप ही हो जो अब हमारे घर के चिराग को बचा सकती हो। उनकी इतनी बात सुनकर मै अपने जन्मदिन को नहीं मनाकर तुरंत अस्पताल गयी और वहां स्वयं ब्लड डोनेट किया और उस बच्चे की जान बचाई। उस दिन मुझे बहुत खुशी हुई की आज मेरे जन्मदिन पर भगवान ने मुझे किसी की जान बचाने का अवसर दे कर मुझे मेरा जन्मदिन उपहार दे दिया है। फिर मै अपने घर आई और मैंने परिवार के साथ जन्मदिन मनाया। लगातार 6 दिन तक मेरे द्वारा उन्हें 8 यूनिट ब्लड उपलब्ध करवाया गया लेकिन पेशेंट के घरवालो ने मुझे देखा नही फ़ोन पर ही बात हो जाती थी। कुछ दिन बाद बच्चे के परिजनों का फ़ोन आया की बच्चे का मन है की जिसने उसको जीवनदान दिया है उनको एक बार देखु। अगले दिन श्रीमती गौड़ स्कूल से सीधा उस बच्चे से मिलने गयी और उसे बहुत सारा आशीर्वाद दिया । मौका मिला है रक्तदान का इसे यूँ ना गवाइए । देकर के दान रक्त का आप पुण्य कमाइए । उन्होने बताया कि जब भी मुझे मौका मिलता है तो मै रक्तदान करती रहती हूँ। आज रक्तदान के क्षेत्र मे मेरी एक अलग पहचान बन गयी है सभी मुझे रक्तवीर संगीता गौड़ के नाम से जानते है। ज़ब भी कोई रक्तदान शिविर लगता है तो मै उस शिविर मे जरुर जाती हूँ और वहां रक्तदान कर रहे लोगों से बातचीत कर के उनको उत्साहवर्धन करती हूँ । यदि करनी है जन सेवा रक्तदान ही है उत्तर सेवा क्यों ना खुद की एक पहचान बनाये।चलो रक्तदान करे और करवाये रक्तदान के इस सफर मे मैंने स्वयं अब तक 40 बार रक्तदान किया है। इसके अलावा मेरे द्वारा अब तक 4630 लोगों को रक्त उपलब्ध करवाया गया है एवं 7400लोगों को मैंने मोटीवेट कर उनसे रक्तदान करवाया है। मेरे इस कार्य मे अलवर मे मौजूद सभी ब्लड बैंक के संचालक मेरा बहुत साथ देते है। ज़ब भी किसी को ब्लड की जरुरत होती है तो मेरे कहने पर वो सभी ब्लड उपलब्ध करा देते है । रक्तदान के क्षेत्र मे मेरे द्वारा किये गये कार्यों को देखते हुए मुझे बहुत सी संस्थाओ ने सम्मानित किया है। रक्त वीरांगना सम्मान, जय हो नेशनल अवार्ड, अलवर गौरव अवार्ड, राजस्थान गौरव अवार्ड, कोरोना योद्धा अवार्ड, आदि बहुत से अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है । लत रक्तदान की लगी है तो नशा भी सरेआम होगा अब हर लम्हा मेरा मानवता के नाम होगा । अंत मे मै रक्तवीर संगीता गौड़ आप सभी से यही कहना चाहती हूं की ज़ब भी आपको मौका मिलता है किसी जरूरतमंद व्यक्ति की जान बचाने का तो आप उस मौके को कभी मत गँवाना। आज हम सब एक संकल्प लेते है की हम सब अपने अपने जीवन मे रक्तदान जरूर करेंगे।मेरी ज़िंदगी का पहला और अंतिम लक्ष्य लोगों की जान बचाने के लिए अपने ब्लड का कतरा कतरा देने में पीछे नही हटूंगी।