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साहित्य परिषद की काव्य एवं विचार गोष्ठी आयोजित

ब्यूरो चीफ़ शिवकुमार शर्मा
बारां राजस्थान

अवर्णनीय होती है मांः वर्मा

बारां 24 जून। अखिल भारतीय साहित्य परिषद के तत्वावधान में परिषद के कोषाध्यक्ष व साहित्यकार हेमराज बंसल की माता श्रीमती पुष्पा देवी बंसल की पाँचवी पुण्यतिथि के उपलक्ष में काव्य एवं विचार गोष्ठी हुई। अध्यक्ष बच्छराज राजस्थानी ने बताया कार्यक्रम की अध्यक्षता शिक्षाविद व साहित्यकार प्रहलादकुमार मीणा ने की। मुख्य अतिथि परिषद के प्रदेश उपाध्यक्ष प्रद्युम्न वर्मा थे। जिन्होंने कहा कि कोई ऐसा शब्द नहीं जो माँ का पूरा वर्णन कर सके। माँ के समक्ष हर शब्द बोना पड़ जाता है, इसलिए विद्वानों ने सत्य कहा है कि मां अवर्णनीय होती है। विशिष्ट अतिथि परिषद् के जिला विभाग संयोजक कवि भैरूलाल भास्कर ने मां विषय पर गीत सुनाकर श्रद्धा सुमन अर्पित किये। सरस्वती वंदना गीतकार सूरजमल मियाड़ा द्वारा की गयी। काव्यगोष्ठी में कवि ओमप्रकाश शास्त्री, राधेश्याम राष्ट्रवादी, सोनू सुरीला, पीयूष परिंदा, रमन अजमेरा, छीतरलाल गाँवडेल, गिरिराज मीणा, राजप्रमोद राज, गजेन्द्र यादव, नाथूलाल निर्भय, पुष्पदयाल वर्मा, डॉ. मनोज सिंगोरिया व कवयित्री उषा शर्मा, रिंकी बंसल, श्वेता बंसल आदि ने समसामयिक विषयों पर काव्यपाठ किया। कृष्णा बंसल ने हास्य लोकगीत ’काल्यो रे बलम न हो तो ’सुनाकर बहुत गुदगुदाया। हेमराज बंसल ने आभार प्रकट करते हुए कहा कि हमें हमारे पूर्वजों की स्मृति में समाजहित के कार्य करने की भारतीय परम्परा को बनाये रखना चाहिए।

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