कोटा, 1 अक्टूबर। वन्य जीव सप्ताह का शुभारंभ मंगलवार को वन्य जीव संरक्षण जागरूकता रैली से किया गया। मुख्य वन संरक्षक मुकुन्दरा हिल्स टाईगर रिजर्व वन्य जीव रामकरण खैरवा ने रैली को हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया। आर्ट गैलरी में प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया।
वन्य जीव संरक्षण एवं जागरूकता रैली चिडियाघर से सीवी गार्डन, किशोर सागर तालाब होते हुए आर्ट गैलेरी पहुंची। सीवी गार्डन के पेड़ों और पक्षियों के बारे में डीसीएफ अनुराग भटनागर ने बताया। उन्होंने यहां मौजूद दुर्लभ पेड़ जैसे जरूल, समुद्रफल आदि की पहचान कराई व कबूतरों (रॉकपिजन) को दाना न डालने व बन्दरों को खाना नहीं डालने के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि कबूतर (रॉकपिजन) विदेशी प्रजाति का पक्षी है जो हमारे यहां पाए जाने वाले देशी पक्षी गौरैया, रोबिन, बुलबुल, नीलकण्ठ, कठफोड़वा आदि पक्षियों का वास, भोजन और स्थल छीन रहा है जिससे ये चिड़ियाएं हमारे गांव और शहरों से विलुप्त होती जा रही हैं। उन्होंने बताया कि कबूतरों को दाना डालने से ईको सिस्टम पर गलत असर पड रहा है। कबूतर (रॉकपिजन) की बीट से मनुष्य श्वांस संबंधी बीमरियां झेल रहा है। जबकि हमारी देशी चिड़ियाएं अधिकतर कीट पतंगें कीड़े-मकोड़े खाकर हमारे यहां सफाई का कार्य कर हमें बीमारियों से बचाती हैं।
उप वन संरक्षक मुकुन्दरा हिल्स टाईगर रिर्जव मूथू एस ने बताया कि विदेशी पेड़ जैसे यूकेलिप्टस, लेन्टाना, पारथेनियम आदि इन्वेजिव पेड़-पौधे जंगल के लिए ठीक नहीं है, ये पेड़ जहां भी होते हैं वहां उसके आसपास अन्य देशी प्रजाति के पेड़-पौधों को पनपने नहीं देते। साथ ही, जमीन से पानी भी अधिक मात्रा में सोख लेते हैं। उन्होंने बताया कि हमें सिर्फ हमारे देश के पेड़ों को लगाना चाहिए विदेशी प्रजाति के पेड़-पौधे जो इन्वेजिव है उन्हें नहीं लगाएं। उन्होंने गिद्ध के बारे में बताया कि ये स्केवन्जर है यानी मरे हुए पशुओं को खाकर हमारे पर्यावरण को साफ सुथरा रखते है जिससे मरे हुए जानवर में पाए जाने वाले विषाणु एन्थ्रेंक्स आदि वातावरण में न फैल सकें।
इस अवसर पर आर्ट गैलेरी में लगाई गई प्रदर्शनी में पैंथर, भालू, भेड़िया, टाईगर, उदबिलाव, पक्षियों व तितलियों की तस्वीरें देखकर विद्यार्थी उत्साहित हो गए। वन्य जीव प्रेमियों ने महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए उनका ज्ञानवर्धन किया। यहां औषधीय पौधों को भी प्रदर्शित किया गया जिसमें ईश्वरमूल, मरोड़फली, केवड़ा, हड्डजोड़, सौंफ, तुलसी, वरूण, आरारोट आदि के पौधे भी हैं। कार्यक्रम में विधार्थियों एवं वन विभाग के कर्मचारियों ने भाग लिया।
ब्यूरो चीफ़ शिवकुमार शर्मा
कोटा राजस्थान