जीवन में हर कोई कभी न कभी किसी न किसी कारण से झूठ बोलता है। कोई थोड़ा झूठ बोलता है तो कोई बहुत झूठ बोलता है। कोई अपने फायदे के लिए झूठ बोलता है तो कोई दूसरों के फायदे के लिए झूठ बोलता है। आखिरकार, हर किसी को एक या दूसरे रूप में झूठ बोलने का खतरा होता है। भले ही कोई झूठ बोलकर किसी को धोखा देकर अपना कर्तव्य सिद्ध कर ले, लेकिन वह भविष्य में ऐसा नहीं कर पाता और एक दिन उसका राज खुल जाता है और झूठ एक दिन उसकी गर्दन से चिपक जाता है। कि वह निगल या थूक नहीं सकता था।
राजनीतिक जानकारों के अनुसार झूठ बोलने वाले का अपना चरित्र नहीं होता, वह नकलची जैसा होता है। किसी ने उस पर विश्वास नहीं किया। हमारे शास्त्रों में झूठ को पाप और सत्य को पुण्य बताया गया है, इसका सही अर्थ क्या है, इसे कहने के बाद लोगों को क्या परेशानी होगी, यह जानने के लिए सफलता के मंत्रों को पढ़ना चाहिए।
1. दूसरों से झूठ बोलने से ज्यादा खतरनाक खुद से झूठ बोलना है।
2. सच के आगे झूठ की लंबाई कम होती है, जिसके सहारे जीवन में आगे नहीं बढ़ सकते।
3. जितनी हानि किसी व्यक्ति की उसका शत्रु करता है, उससे अधिक झूठ मार्ग में लगा उसका चित्त करता है.
4. किसी से बार-बार झूठ बोलकर उसे नाराज करने से अच्छा है कि एक बार सच बोलकर उसे नाराज कर दिया जाए।
5. यदि झूठ का जवाब न दिया जाए तो वह अपने आप ही समाप्त हो जाता है, लेकिन जब हम उसका विरोध करते है तो वह फलता फूलता हैं.