राजस्थान की राजनीति में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे एक बार फिर सुर्खियों में हैं। विधानसभा उपचुनावों के समाप्त होते ही राजे की सक्रियता और कुछ हालिया घटनाओं ने राजनीतिक हलकों में चर्चाओं को हवा दे दी है। बीजेपी ने सात में से पांच सीटें जीतकर जोरदार प्रदर्शन किया है, लेकिन इसके बीच वसुंधरा राजे की अचानक से बढ़ी सियासी सक्रियता ने नया मोड़ ला दिया है।
113 दिन बाद बीजेपी मुख्यालय पहुंचीं वसुंधरा राजे
राजस्थान में 113 दिनों तक पार्टी गतिविधियों से दूर रहीं वसुंधरा राजे अचानक बीजेपी मुख्यालय पहुंचीं। यह घटना उस समय हुई जब पार्टी विधानसभा उपचुनावों में शानदार जीत का जश्न मना रही थी। हालांकि, राजे केवल 15 मिनट के लिए ही मुख्यालय में रहीं। उन्होंने पार्टी के विजयी उम्मीदवारों को बधाई दी और तुरंत अपनी अगली फ्लाइट का हवाला देते हुए वहां से निकल गईं।
इस दौरान मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ और बीजेपी प्रभारी राधा मोहन मुख्यालय में मौजूद नहीं थे। राजे के वहां से निकलने के बाद ही ये सभी नेता पहुंचे। उनकी यह छोटी उपस्थिति राजनीतिक विश्लेषकों और पार्टी के अंदर चर्चा का विषय बन गई है।
सोशल मीडिया पर राजे का शायराना अंदाज
राजे ने उपचुनाव के दिन अपनी एक तस्वीर के साथ एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक शायरी पोस्ट की:
“बादल कुछ देर तो सूरज को अदृश्य कर सकते हैं, पर सूर्य की दमक को रोकने का सामर्थ्य उनमें नहीं…”
इस शायरी ने राजनीतिक गलियारों में खलबली मचा दी। इसे राजे के विरोधियों और उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को संदेश देने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषक इस पोस्ट के गहरे अर्थों को समझने की कोशिश कर रहे हैं।
लंबे समय तक पार्टी से दूरी का कारण?
वसुंधरा राजे काफी समय से पार्टी की गतिविधियों से दूर थीं। लोकसभा चुनाव से लेकर उपचुनावों तक, वे प्रमुख रूप से गैरहाजिर रहीं। इस दूरी को मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की नियुक्ति और पार्टी के भीतर गुटबाजी से जोड़कर देखा जा रहा है। लेकिन अब, अचानक उनकी सक्रियता और प्रमुखता ने नए सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या राजे बीजेपी के अंदर अपनी खोई हुई जगह पाने की कोशिश कर रही हैं, या उनके लिए कोई नई सियासी भूमिका तय की जा रही है?
क्या चल रहा है राजे के मन में?
हाल ही में झालावाड़ में एक सभा में राजे ने अपने तेवर दिखाते हुए बड़ा संदेश देने की कोशिश की। उन्होंने अपनी चुप्पी तोड़कर राजनीतिक चर्चाओं को और बढ़ावा दिया। उनकी सोशल मीडिया गतिविधियां और बीजेपी मुख्यालय में उपस्थिति ने उनके अगले राजनीतिक कदम को लेकर अटकलों का बाजार गर्म कर दिया है।
सियासी हलचल तेज, आगे क्या?
राजस्थान बीजेपी में वसुंधरा राजे को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। क्या वे प्रदेश राजनीति में नई भूमिका के लिए तैयार हो रही हैं? या फिर यह उनकी व्यक्तिगत सियासी ताकत का प्रदर्शन है?
विधानसभा उपचुनावों में पार्टी की शानदार जीत के बाद, राजे का यह अचानक सक्रिय होना महज संयोग है या रणनीति, यह आने वाला वक्त बताएगा। लेकिन इतना तय है कि उनकी यह वापसी बीजेपी की आंतरिक राजनीति और राजस्थान की सियासी फिजाओं में एक नई हलचल जरूर पैदा कर चुकी है।