Search
Close this search box.

दूसरी तिमाही में सुस्त पड़ी भारत की अर्थव्यवस्था, GDP ग्रोथ घटकर 5.4%

नई दिल्ली: भारत की अर्थव्यवस्था ने वित्तीय वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में धीमी रफ्तार दर्ज की है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, जुलाई-सितंबर तिमाही में GDP वृद्धि दर 5.4% रही, जो लगभग दो वर्षों का न्यूनतम स्तर है। यह गिरावट मुख्य रूप से मैन्युफैक्चरिंग और खनन क्षेत्रों के कमजोर प्रदर्शन के कारण आई है।

पिछले वर्ष की समान तिमाही में GDP ग्रोथ 8.1% और पिछली तिमाही में 6.7% थी। हालांकि भारत अभी भी दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था है, लेकिन ये आंकड़े 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के भारत के सपने को धीमा कर सकते हैं।

सुस्ती के कारण

अर्थशास्त्रियों के अनुसार, GDP ग्रोथ में आई कमी के पीछे कई कारक जिम्मेदार हैं। इनमें उच्च मुद्रास्फीति, बढ़ती ब्याज दरें, और वेतन में अपेक्षित वृद्धि का न होना शामिल है। दूसरी तिमाही में खपत में गिरावट दर्ज की गई, जिससे मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर असर पड़ा। विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर घटकर 2.2% रह गई, जबकि पिछले साल की इसी अवधि में यह 14.3% थी। खनन और उत्खनन क्षेत्र का प्रदर्शन और भी खराब रहा, जो केवल 0.01% पर पहुंच गया।

कृषि क्षेत्र ने दिया सहारा

हालांकि, कृषि क्षेत्र ने तुलनात्मक रूप से बेहतर प्रदर्शन किया। इसकी वृद्धि दर 3.5% रही, जो पिछले साल की समान अवधि में 1.7% थी। विशेषज्ञों का मानना है कि कृषि क्षेत्र का मजबूत प्रदर्शन ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सहारा दे सकता है, लेकिन यह समग्र GDP वृद्धि में कमी की भरपाई करने के लिए पर्याप्त नहीं है।

विदेशी निवेश और कंपनियों के नतीजों पर असर

दूसरी तिमाही में कंपनियों के निराशाजनक वित्तीय नतीजों ने शेयर बाजार को झटका दिया, जिससे विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजारों से पैसा निकालना शुरू कर दिया। इसके अलावा, ऊंचे इंटरेस्ट रेट और कमजोर खपत ने नए निवेश और विस्तार योजनाओं पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।

आगे की चुनौतियां

RBI ने पूरे वित्तीय वर्ष के लिए GDP ग्रोथ का अनुमान 7.2% रखा है। इसके लिए दूसरी छमाही में अर्थव्यवस्था को काफी बेहतर प्रदर्शन करना होगा। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि रिजर्व बैंक आगामी मौद्रिक नीति बैठक में ब्याज दरों में कटौती करता है, तो इससे खपत और निवेश को बढ़ावा मिल सकता है।

अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत दिखाने के लिए कंपनियों को उत्पादन और रोजगार बढ़ाने पर जोर देना होगा। साथ ही, सरकार को राजकोषीय नीतियों के माध्यम से आर्थिक गतिविधियों को गति देने की दिशा में कदम उठाने होंगे।

क्या 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का सपना पूरा होगा?

5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लिए भारत को लगातार तेज वृद्धि दर्ज करनी होगी। वर्तमान आंकड़ों के आधार पर, यह लक्ष्य और कठिन होता दिख रहा है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सुधारात्मक कदम उठाए जाते हैं, तो आने वाले वर्षों में भारत इस चुनौती को पार कर सकता है।

यह सुस्ती भले ही अल्पकालिक हो, लेकिन यह दर्शाती है कि अर्थव्यवस्था को संतुलित विकास के लिए संरचनात्मक सुधारों की आवश्यकता है।

Leave a Comment

लाइव क्रिकेट

संबंधि‍त ख़बरें

सोना चांदी की कीमत