क्या अहंकार का त्याग संभव है?
अहंकार एक ऐसा अनुभव है जो हमारी वास्तविकता को धुंधला कर देता है। ओशो के विचारों के अनुसार, अहंकार का त्याग संभव नहीं है, क्योंकि इसका अस्तित्व ही वास्तविक नहीं है। यह महज एक विचार है, एक आभास, जो केवल हमारे विश्वास से जीवित रहता है। ओशो कहते हैं, “अहंकार त्यागने योग्य नहीं, बल्कि समझने योग्य है।”
अहंकार का स्वभाव: अंधकार जैसा खालीपन
अहंकार अंधकार के समान है। जैसे अंधकार प्रकाश के अभाव के सिवा कुछ नहीं, वैसे ही अहंकार आत्म-ज्ञान के अभाव का प्रतीक है।
- अंधकार और अहंकार:
अंधकार को आप छू नहीं सकते, बाहर नहीं फेंक सकते। इसे मिटाने का एकमात्र तरीका है कि आप प्रकाश करें। ठीक उसी प्रकार, अहंकार से लड़ने के बजाय, आत्म-ज्ञान की ओर बढ़ें।
अहंकार से लड़ने का प्रयास क्यों विफल रहता है?
ओशो कहते हैं, जब आप अहंकार का त्याग करने की कोशिश करते हैं, तो आप केवल एक नया अहंकार बना लेते हैं। उदाहरण के लिए:
- विनम्रता का अहंकार।
- यह सोचने का अहंकार कि आपने अहंकार छोड़ दिया है।
यह नया अहंकार पुराने से भी अधिक खतरनाक हो सकता है, क्योंकि यह सतही विनम्रता के पीछे छिपा होता है।
अहंकार को समझने का सही तरीका
ओशो ने अहंकार को समझने के लिए ध्यान की ओर जाने का मार्ग सुझाया:
- अहंकार को देखें, उसका अध्ययन करें:
- यह कैसे काम करता है?
- यह आपके जीवन को कैसे प्रभावित करता है?
- इसके गहराई में उतरें:
- जब आप इसके मूल में जाएंगे, तो पाएंगे कि यह वास्तविक नहीं है।
- सचेत रहें:
- जैसे-जैसे आप जागरूक होते जाएंगे, अहंकार स्वतः गायब हो जाएगा।
अहंकार से मुक्त होने का परिणाम
जब अहंकार खत्म होता है, तो आप “स्वयं” से परिचित होते हैं। यह अहंकार का अंत नहीं, बल्कि आत्म-ज्ञान का उदय है।
- आप अब एक निर्जन द्वीप नहीं रहते।
- आप समग्र ब्रह्मांड का हिस्सा बन जाते हैं।
- यही भगवत्ता है।
निष्कर्ष: अहंकार से बाहर कैसे आएं?
अहंकार से मुक्त होना त्याग का नहीं, बल्कि समझ का सवाल है। यह जागरूकता का खेल है, जहां ध्यान की रोशनी आपको आपके भीतरतम सत्य से जोड़ती है। ओशो के शब्दों में, “अपने भीतर प्रकाश करो, और अंधकार स्वतः ही गायब हो जाएगा।” तो, क्या आप तैयार हैं अपने भीतर झांकने के लिए? यह सफर न केवल आपके अहंकार से मुक्ति दिलाएगा, बल्कि आपको “स्वयं” से भी रूबरू करवाएगा।