चीन और पाकिस्तान द्वारा हिंद महासागर में अपनी समुद्री ताकत बढ़ाने के प्रयासों के बीच, भारतीय नौसेना ने अपनी क्षमता को विस्तार देने के लिए बड़े कदम उठाए हैं। नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी ने नौसेना दिवस से पहले अपने संबोधन में कहा कि भारतीय नौसेना लगातार आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रही है और 2047 तक पूर्ण आत्मनिर्भरता का लक्ष्य प्राप्त करेगी।
नए जहाज और पनडुब्बियों का निर्माण
एडमिरल त्रिपाठी ने जानकारी दी कि वर्तमान में भारतीय नौसेना के लिए 62 जहाज और एक पनडुब्बी निर्माणाधीन हैं। साथ ही, भारत 26 राफेल मरीन जेट और तीन नई स्कॉर्पिन पनडुब्बियां खरीदने की प्रक्रिया में है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2025 तक बड़ी संख्या में नए जहाज नौसेना में शामिल होंगे।
डीलक्स तकनीक का समावेश
नौसेना में अत्याधुनिक तकनीक के समावेश की प्रक्रिया तेज कर दी गई है। राफेल मरीन जेट और स्कॉर्पिन पनडुब्बियों के सौदों पर अगले महीने हस्ताक्षर होने की संभावना है। यह सौदे फ्रांस के साथ प्रस्तावित हैं, और बातचीत अंतिम चरण में है।
हिंद महासागर क्षेत्र पर निगरानी
चीन की बढ़ती गतिविधियों को लेकर एडमिरल त्रिपाठी ने कहा कि भारतीय नौसेना हिंद महासागर क्षेत्र में अपने हितों की सुरक्षा के लिए सतर्क है। उन्होंने कहा, “हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि हिंद महासागर क्षेत्र में हमारी सुरक्षा और प्रभाव को कोई खतरा न पहुंचे।”
हाल ही में आईएनएस अरिघाट द्वारा 3500 किलोमीटर तक मार करने वाली परमाणु क्षमता वाली मिसाइल K-4 के सफल परीक्षण का भी जिक्र किया गया। उन्होंने इसे नौसेना की क्षमता को मजबूत करने वाला कदम बताया।
पाकिस्तान और चीन पर नजर
पाकिस्तान द्वारा चीन की मदद से अपनी समुद्री ताकत बढ़ाने के सवाल पर नौसेना प्रमुख ने कहा कि भारतीय नौसेना पूरी तरह से तैयार है। उन्होंने कहा, “हम चीन और पाकिस्तान की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखे हुए हैं।” साथ ही, अतिरिक्त क्षेत्रीय बलों और चीनी नौसैनिक इकाइयों की गतिविधियों पर भी निगरानी रखी जा रही है।
चीन का वैश्विक प्रभाव बनाने का सपना
एडमिरल त्रिपाठी ने चीन के वैश्विक महत्वाकांक्षाओं पर कहा, “चीन खुद को ‘मिडल किंगडम’ मानता है और उसका सपना विश्व शक्ति बनने का है।” हालांकि, उन्होंने आश्वासन दिया कि हिंद महासागर में भारतीय हितों पर कोई समझौता नहीं होगा।
भविष्य की तैयारियां
2047 तक आत्मनिर्भर बनने के लक्ष्य के साथ भारतीय नौसेना न केवल अपने पड़ोसी देशों से संभावित खतरों का सामना करने के लिए तैयार है, बल्कि विश्व स्तर पर अपनी उपस्थिति मजबूत करने की दिशा में अग्रसर है। हिंद महासागर क्षेत्र में चीन और पाकिस्तान की बढ़ती गतिविधियों का जवाब देने के लिए भारतीय नौसेना लगातार अपनी ताकत बढ़ा रही है।
निष्कर्ष:
भारतीय नौसेना के इन कदमों से यह स्पष्ट है कि देश अपनी समुद्री सुरक्षा के प्रति गंभीर है और भविष्य के किसी भी खतरे से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है।