छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में पिछले दो दिनों से सुरक्षाबलों और माओवादियों के बीच चल रही मुठभेड़ ने तनाव बढ़ा दिया है। अब तक सुरक्षाबलों ने 20 से अधिक माओवादियों के मारे जाने का दावा किया है। हालांकि, पुलिस ने अभी तक 14 शव बरामद किए हैं।
ऑपरेशन में बड़ा नुकसान
पुलिस के मुताबिक मुठभेड़ वाले इलाके में अब भी बड़ी संख्या में माओवादी मौजूद हैं। ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए टोही ड्रोन का सहारा लिया जा रहा है। मारे गए माओवादियों में सीपीआई माओवादी के शीर्ष नेता जयराम उर्फ़ चलपति का नाम भी शामिल है। चलपति संगठन के रणनीतिकार और सैद्धांतिक मामलों के विशेषज्ञ माने जाते थे।
सुरक्षाबलों की बड़ी कामयाबी
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मुठभेड़ को नक्सलवाद के खिलाफ बड़ी जीत बताया। सोशल मीडिया पर उन्होंने लिखा, “सुरक्षाबलों की इस उपलब्धि ने नक्सल मुक्त भारत के हमारे संकल्प को मजबूती दी है।” छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने भी इसे माओवादी गतिविधियों पर कड़ा प्रहार बताते हुए कहा, “डबल इंजन की सरकार 2026 तक छत्तीसगढ़ को नक्सलवाद से मुक्त करने के लिए प्रतिबद्ध है।”
विपक्ष की प्रतिक्रिया
कांग्रेस नेता भूपेश बघेल ने सुरक्षाबलों की सराहना करते हुए कहा, “लोकतंत्र विरोधी ताकतों को करारा सबक सिखाने के लिए हम सब सुरक्षाबलों का अभिनंदन करते हैं।”
ऑपरेशन में टोही ड्रोन की मदद
रविवार शाम से शुरू हुए इस ऑपरेशन में सुरक्षाबलों ने माओवादियों के ठिकानों को ड्रोन की मदद से चिन्हित किया। जंगल और पथरीले इलाकों में हुए इस संघर्ष में कई माओवादी ढेर हुए। सुरक्षाबलों ने बड़ी मात्रा में हथियार बरामद किए हैं।
माओवाद प्रभावित क्षेत्र
गरियाबंद, जो माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में गिना जाता है, ओडिशा सीमा से सटा हुआ है। इस इलाके में सुरक्षाबलों ने लंबे समय बाद इतनी बड़ी कार्रवाई की है।
रिकॉर्ड पर साल 2024
पिछले साल, राज्य में 219 माओवादी मारे गए थे, जो राज्य के इतिहास में सबसे बड़ी संख्या है। इस साल भी, 21 दिनों में 43 माओवादी मारे जाने की बात कही जा रही है।सुरक्षाबलों का कहना है कि मुठभेड़ अभी जारी है। इलाके में अतिरिक्त बलों की तैनाती कर दी गई है, और ऑपरेशन जल्द समाप्त होने की उम्मीद है।