आदित्य L1 मिशन शनिवार को भारत में लॉन्च किया जाएगा। इस मिशन के तहत भारत 24 घंटे सूरज पर नजर रख सकेगा। अभी तक भारत ने कोई अंतरिक्ष प्रयोगशाला विकसित नहीं की है। यह आदित्य की बदौलत संभव हुआ है।’ भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) हाल ही में चंद्रयान मिशन के साथ चंद्रमा पर उतरा है, और अब आदित्य एल1 मिशन भारत के साथ सूर्य की ओर जाने वाला है।
इसरो जल्द ही आदित्य मिशन के जरिए सूर्य के अज्ञात राज के अस्तित्व का रहस्य उजागर करेगा। आदित्य-एल1 सूर्य से निकलने वाले सौर तूफानों और कोरोनल मास इजेक्शन जैसी घटनाओं पर नज़र रखेगा। ऐसे में सवाल उठते हैं कि भारत के अलावा जिन देशों ने सूर्य को मिशन भेजा, उनका उद्देश्य क्या था और इस मिशन से क्या हासिल हुआ। आइए इन सवालों के जवाब जानते हैं.
अमेरिका ने सूर्य पर अनेक मिशन भेजे। अमेरिका उन देशों में से एक है जो सूर्य पर सबसे ज्यादा मिशन भेजता हैं। अमेरिका ने सूरज पर कई मिशन भेजे हैं. इसके अलावा उन्होंने कई देशों में अपनी सेवाएं दी हैं. इस स्थिति में सबसे बड़ा मिशन पार्कर सोलर प्रोब है, जिसे 2018 में लॉन्च किया गया था। इसके अलावा, पिछले चालीस वर्षों में कई सौर निगरानी परियोजनाएं शुरू की गई हैं। कुछ को मिलकर लॉन्च किया गया है, जबकि कुछ नासा के द्वारा ही लॉन्च किए गए हैं.
दिसंबर 1995 में अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA, यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) और जापान की ‘जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी’ (JAXA) ने साथ मिलकर ‘सोलर एंड हीलियोस्फेरिक ऑब्जर्वेटरी’ (SOHO) मिशन लॉन्च किया। SOHO सूर्य की अशांत स्थिति पर भी नज़र रखता है। नासा ने अगस्त 2018 में पार्कर सोलर प्रोब लॉन्च किया। 2021 में, पार्कर अंतरिक्ष यान सूर्य के ऊपरी वायुमंडल से गुजरा। नासा की वेबसाइट के मुताबिक, यह पहली बार है कि कोई अंतरिक्ष यान सूर्य के करीब से गुजरा है। इस मिशन के जरिए सूरज की सबसे ज्यादा करीब से निगरानी की जा रही है। इस मिशन का उद्देश्य सूर्य से उत्पन्न होने वाली सौर हवा और कोरोना को गर्म और तेज करने वाली ऊर्जा की पहचान करना है।
अंतरिक्ष में सफलता के बारे में अमेरिका की बहुत चर्चा होती है, शायद उतनी जापान की नहीं हो पाती है। जापान दुनिया का पहला देश था जिसने सूर्य पर सबसे पहले मिशन भेजा था। जापानी अंतरिक्ष एजेंसी JAXA ने 1981 में सूर्य पर पहला हिनोटोरी (ASTRO-A) उपग्रह भेजकर यह उपलब्धि हासिल की। इस मिशन का उद्देश्य एक्स-रे का उपयोग करके सौर ज्वालाओं का अध्ययन करना है। फिर, JAXA ने 1991 में योहकोह (SOLAR-A) लॉन्च किया। SOHO को 1995 में NASA, ESA, ट्रांजिएंट रीजन और कोरोनल एक्सप्लोरर के सहयोग से बनाया गया था। हिनोड (SOLAR-B) को 2006 में लॉन्च किया गया था और यह सौर भंडार के रूप में सूर्य की परिक्रमा करता है। इस मिशन का मकसद सूर्य से पृथ्वी पर होने वाले प्रभाव को समझना है.
