राजस्थान में भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम के तहत एसीबी (भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो) की हालिया कार्रवाई ने पुलिस महकमे में हड़कंप मचा दिया है। एसीबी की एफआईआर और सर्विलांस रिकॉर्डिंग में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं कि एएसपी सुरेन्द्र कुमार शर्मा एक संगठित रिश्वत नेटवर्क का संचालन कर रहा था, जिसमें दो मुख्य दलाल – रामराज मीणा और बंटी उर्फ प्रदीप पारीक – प्रमुख भूमिका निभा रहे थे।
2023 से सक्रिय थे दलाल
एफआईआर में दर्ज विवरणों के अनुसार, वर्ष 2023 से ही सुरेन्द्र शर्मा के लिए दलाल अलग-अलग विभागों के अधिकारियों से अवैध वसूली की कोशिश कर रहे थे। यह रिश्वतखोरी इतने संगठित तरीके से की जा रही थी कि अगर कोई अधिकारी “साहब” की नाराजगी से बचना चाहता, तो उसे हर महीने मोटी रकम देनी होती थी। एएसपी का संदेश दलालों के जरिए इस तरह फैलाया जाता था कि “साहब नाराज़ हैं”।
थाने में दर्ज हुआ था गंभीर आरोप
10 जून 2023 को सवाईमाधोपुर के उदेई मोड़ थाने में उपनिरीक्षक भरत सिंह ने रोजनामचा में एक रिपोर्ट दर्ज की, जिसमें उल्लेख था कि एक व्यक्ति रमेश सिनसिनवार ने उन्हें धमकी दी कि अगर एक लाख रुपए नहीं दिए, तो एएसपी से नाराजगी की वजह से उनका ट्रांसफर या कार्रवाई हो सकती है। रमेश ने यह भी दावा किया कि उसने पहले भी कई लोगों का “सेटलमेंट” एएसपी साहब से करवाया है।
“चार बोतल शराब” की मांग और कॉल रिकॉर्डिंग
दलालों की फोन रिकॉर्डिंग में एक और हैरान कर देने वाला मामला सामने आया, जिसमें 8 जनवरी 2025 को मुख्य दलाल रामराज मीणा, एएसपी शर्मा की एक व्यक्ति से बात करवाता है और शर्मा उस व्यक्ति से चार बोतल शराब की मांग करता है। यह रिकॉर्डिंग एसीबी के पास मौजूद है, जो सुरेन्द्र शर्मा के भ्रष्ट गतिविधियों की पुष्टि करती है।
रिमांड पर भेजे गए आरोपी, जांच जारी
एसीबी की एडीजी स्मिता श्रीवास्तव ने बताया कि एएसपी सुरेन्द्र कुमार शर्मा, रामराज मीणा और बंटी पारीक को 23 मई तक रिमांड पर सौंपा गया है। अब जांच में यह तस्दीक की जाएगी कि किन-किन अधिकारियों ने रिश्वत दी थी और किन मामलों में यह सौदेबाजी हुई थी।
यह मामला सिर्फ एक अफसर की गिरफ़्तारी भर नहीं, बल्कि राजस्थान के पुलिस तंत्र में फैले गहरे भ्रष्टाचार की परतों को उजागर करता है। एसीबी की इस कार्रवाई से यह उम्मीद जगी है कि अब ऐसे संगठित भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे।

Author: manoj Gurjar
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