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अपनी ही सरकार पर बरसे भाजपा विधायक, सीजफायर को बताया अंतरराष्ट्रीय दबाव का नतीजा

मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की आंतरिक स्थिति इन दिनों सवालों के घेरे में है। लगातार सामने आ रहे विवादित बयानों ने प्रदेश की राजनीति में हलचल मचा दी है। ताजा मामला रीवा जिले की मनगवां विधानसभा से भाजपा विधायक नरेंद्र प्रजापति का है, जिन्होंने अपनी ही सरकार पर अप्रत्यक्ष रूप से निशाना साधते हुए दावा किया कि भारत ने संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के आदेश के बाद ही पाकिस्तान के साथ सीजफायर किया।

प्रजापति ने यह बयान तिरंगा यात्रा के दौरान आयोजित सभा में दिया। उन्होंने कहा, “भारत ने 1963 और 1973 में पाकिस्तान को हर बार मुंहतोड़ जवाब दिया। अगर यूएन से सीजफायर का आदेश नहीं आता, तो इस बार पाकिस्तान का सफाया कर दिया जाता। प्रधानमंत्री मोदी जी ने भी कहा था कि करारा जवाब दिया जाएगा।”

पार्टी लाइन से उलट बयान

विधायक के इस बयान ने भाजपा की उस आधिकारिक लाइन से अलग रुख दिखाया, जिसमें पार्टी ने बार-बार कहा है कि भारत ने किसी भी अंतरराष्ट्रीय दबाव में आकर निर्णय नहीं लिया, बल्कि यह फैसला भारत की संप्रभुता और रणनीतिक सोच का हिस्सा था। बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी स्पष्ट कहा था कि भारत किसी के दबाव में फैसला नहीं करता।

भाजपा में बढ़ती असहमति?

इससे पहले मंत्री विजय शाह, डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा और पूर्व केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते भी विवादास्पद बयान दे चुके हैं। अब नरेंद्र प्रजापति के बयान ने इस कड़ी को और मजबूत किया है, जिससे यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या पार्टी के भीतर सब कुछ सही नहीं चल रहा?

कांग्रेस का पलटवार

कांग्रेस प्रवक्ता अभिनव बरोलिया ने प्रजापति के बयान को भाजपा की “आंतरिक सच्चाई का पर्दाफाश” बताते हुए कहा, “जब आपके ही विधायक कह रहे हैं कि सीजफायर यूएन के आदेश पर हुआ, तब सवाल उठता है कि आखिर सच्चाई क्या है? क्या वाकई मोदी सरकार ने अमेरिका और यूएन के दबाव में निर्णय लिया?” बरोलिया ने आगे कहा, “बीजेपी के नेता सेना के पराक्रम को भी राजनीतिक कार्यक्रम बना रहे हैं। अगर तीसरे देश के कहने पर भारत ने कदम पीछे खींचे, तो यह राष्ट्रहित नहीं, आत्मसमर्पण है।”

क्या कहती है सत्तापक्ष?

भाजपा की ओर से फिलहाल नरेंद्र प्रजापति के बयान पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं आई है। लेकिन पार्टी सूत्रों के अनुसार, विधायक को जल्द ही कारण बताओ नोटिस दिया जा सकता है।

निष्कर्ष

भाजपा विधायक नरेंद्र प्रजापति का यह बयान केवल एक व्यक्तिगत राय है या पार्टी में गहराते मतभेदों का संकेत — यह आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा। लेकिन इतना तय है कि विधानसभा चुनावों से पहले इस तरह के बयान भाजपा के लिए संकट का कारण बन सकते हैं।

manoj Gurjar
Author: manoj Gurjar

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