राजस्थान के झालावाड़ जिले में भाजपा विधायक कंवरलाल मीणा ने आखिरकार सभी अटकलों पर विराम लगाते हुए बुधवार को एसीजेएम (ACJM) कोर्ट, मनोहरथाना में आत्मसमर्पण कर दिया। सुप्रीम कोर्ट की ओर से दी गई 15 दिन की मोहलत आज समाप्त हो रही थी, जिसके बाद विधायक मीणा ने अदालत में सरेंडर किया।
कोर्ट में आत्मसमर्पण के बाद बयान:
कोर्ट परिसर में मीडिया से बातचीत के दौरान कंवरलाल मीणा ने कहा, “मुझे कोर्ट पर पूरा विश्वास है।” उन्होंने आगे कहा कि अपील को लेकर उनके वकील उचित कदम उठाएंगे। कोर्ट रूम में करीब 20 मिनट की कार्यवाही के बाद न्यायालय ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
कहाँ भेजे जाएंगे कंवरलाल मीणा:
विधायक को पुलिस कस्टडी में मनोहरथाना सामुदायिक अस्पताल ले जाया गया, जहां उनका मेडिकल परीक्षण कराया गया। इसके बाद उन्हें अकलेरा उपकारागृह ले जाया गया है, जहां से उन्हें संभवतः झालावाड़ जिला कारागृह भेजा जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट की मोहलत आज हुई पूरी:
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 7 मई को विधायक मीणा की याचिका खारिज करते हुए उन्हें 15 दिनों के भीतर अधीनस्थ न्यायालय में आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया था। यह अवधि आज समाप्त हो गई। सरेंडर से पहले विधायक कामखेड़ा बालाजी मंदिर गए और दर्शन किए।
विवादास्पद मामला और कानूनी प्रक्रिया:
कंवरलाल मीणा के खिलाफ यह मामला वर्ष 2005 में दर्ज हुआ था, जिसमें उन पर एसडीएम पर पिस्तौल तानने और जान से मारने की धमकी देने का आरोप था। ट्रायल कोर्ट ने अप्रैल 2018 में साक्ष्य के अभाव में उन्हें बरी कर दिया था। लेकिन दिसंबर 2020 में अकलेरा के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय ने उन्हें दोषी करार देते हुए तीन साल की सजा सुनाई। हाईकोर्ट में दाखिल निगरानी याचिका भी खारिज होने के बाद मीणा ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, जहां से उन्हें कोई राहत नहीं मिली।
राजनीतिक हलकों में सरगर्मी:
कंवरलाल मीणा के सरेंडर के बाद राजनीतिक गलियारों में भी हलचल तेज हो गई है। कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने सवाल उठाया है कि आखिर विधायक की सदस्यता अब तक रद्द क्यों नहीं की गई? वहीं भाजपा खेमे में इस मामले को लेकर सावधानीपूर्वक प्रतिक्रिया देखी जा रही है।
आगे क्या?
अब सबकी नजरें अदालत की आगे की कार्यवाही और मीणा की संभावित अपील पर टिकी हैं। साथ ही यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा नेतृत्व इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाता है।
