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अजमेर के सेवन वंडर्स पार्क पर चला बुलडोजर: 100 करोड़ की बर्बादी, NGT और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कार्रवाई

अजमेर, 11 मार्च 2025 – राजस्थान के अजमेर में करोड़ों रुपये की लागत से बनाए गए सेवन वंडर्स पार्क, पटेल स्टेडियम कॉम्प्लेक्स, फूड कोर्ट और अन्य निर्माण अब इतिहास बन चुके हैं। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद अजमेर विकास प्राधिकरण (ADA) ने आनासागर झील के किनारे बने इन अवैध निर्माणों को ध्वस्त करने की कार्रवाई शुरू कर दी है।

NGT और सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख

NGT ने 2023 में आदेश दिया था कि ये निर्माण आनासागर झील के पारिस्थितिक संतुलन को नुकसान पहुंचा रहे हैं और इन्हें हटाया जाना चाहिए। हालांकि, राजस्थान सरकार ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन 25 फरवरी 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की अपील खारिज करते हुए कहा कि नियमों का उल्लंघन कर किए गए निर्माण तोड़े ही जाएंगे, चाहे वे कितने भी सुंदर क्यों न हों।

कितना हुआ खर्च?

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस प्रोजेक्ट पर भारी भरकम खर्च किया गया था: सेवन वंडर्स पार्क – 11.12 करोड़
फूड कोर्ट – 7.29 करोड़
पाथ-वे (झील किनारे) – 39.83 करोड़
पटेल स्टेडियम कॉम्प्लेक्स – 15.29 करोड़
कोटड़ा गांधी उद्यान – 7.80 करोड़
कुल मिलाकर 100 करोड़ से ज्यादा खर्च हुए, लेकिन अब यह सब मलबे में तब्दील हो चुका है।

जनता के पैसे की बर्बादी, जिम्मेदार कौन?

अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि जनता के टैक्स के पैसे की इस बर्बादी की जिम्मेदारी कौन लेगा? क्या सरकार इस मामले में जवाबदेही तय करेगी, या यह एक और सरकारी नाकामी बनकर रह जाएगी?

NGT और सुप्रीम कोर्ट के सख्त निर्देश
सेवन वंडर्स पार्क, पटेल स्टेडियम, गांधी स्मृति उद्यान और फूड कोर्ट को हटाने का आदेश। कहा गया कि ये निर्माण झील के वेटलैंड और पारिस्थितिक संतुलन को नुकसान पहुंचा रहे हैं।

फरवरी 2025 (सुप्रीम कोर्ट का फैसला):

कहा गया कि अवैध निर्माण को हटाना ही पड़ेगा सरकार की आलोचना करते हुए कोर्ट ने टिप्पणी की – “आपकी कार्यप्रणाली से ऐसा नहीं लगता कि आप अजमेर को स्मार्ट बनाना चाहते हो।” अब मुख्य सचिव को 17 मार्च को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश होने का आदेश दिया गया है।

जनता में रोष, प्रशासन पर उठे सवाल

इस पूरे घटनाक्रम के बाद अजमेर के स्थानीय नागरिकों में आक्रोश है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि अगर यह निर्माण अवैध थे तो इन्हें बनाने की अनुमति ही क्यों दी गई? और अगर जनता के पैसे से इतना बड़ा प्रोजेक्ट तैयार किया गया था, तो क्या इसकी जिम्मेदारी तय होगी?
अब देखना होगा कि सरकार इस मामले में कार्रवाई करती है या नहीं, या यह भी अन्य मामलों की तरह सिर्फ एक खबर बनकर रह जाता है।

manoj Gurjar
Author: manoj Gurjar

मनोज गुर्जर पिछले 5 वर्षों से डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं और खेल, राजनीति और तकनीक जैसे विषयों पर विशेष रूप से लेखन करते आ रहे हैं। इन्होंने देश-दुनिया की बड़ी घटनाओं को गहराई से कवर किया है और पाठकों तक तथ्यात्मक, त्वरित और विश्वसनीय जानकारी पहुँचाने का काम किया है। मनोज का उद्देश्य है कि हर पाठक को सरल भाषा में सटीक और विश्लेषणात्मक खबरें मिलें, जिससे वह अपनी राय बना सके। वे डिजिटल न्यूज़ की दुनिया में लगातार नई तकनीकों और ट्रेंड्स को अपनाकर अपने लेखन को और प्रभावशाली बना रहे हैं।

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