राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (RBSE) 10वीं के नतीजों में बूंदी जिले के छोटे से गांव तीरथ से एक प्रेरणादायक कहानी सामने आई है। यहां के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में पढ़ने वाले शिवम मीणा ने 99 प्रतिशत अंक प्राप्त कर न केवल अपने गांव का नाम रोशन किया है, बल्कि हजारों छात्रों के लिए मिसाल बन गए हैं।
शिवम के पिता रमेश मीणा का देहांत 10 साल पहले हो गया था। तब से उसकी मां ममता बाई ने मजदूरी कर किसी तरह परिवार और बेटे की पढ़ाई का खर्च संभाला। आर्थिक संघर्षों के बावजूद उन्होंने कभी बेटे की पढ़ाई में कमी नहीं आने दी। आज वही शिवम पूरे जिले में टॉप रैंक लेकर लौटा है।
मां और बहन को दिया सफलता का श्रेय
शिवम ने बताया कि वह नियमित रूप से प्रतिदिन 5 घंटे पढ़ाई करता था। अपनी सफलता का श्रेय वह मां ममता बाई और बड़ी बहन अर्पिता को देता है, जो हर कदम पर उसके साथ खड़ी रहीं। शिवम का सपना है कि वह आगे चलकर डॉक्टर बने और गांव के लोगों की सेवा करे। “पिता की कमी हमेशा खली, लेकिन मां ने कभी हार नहीं मानी। आज जो कुछ हूं, उन्हीं की मेहनत का फल है,” – शिवम मीणा
जिले में तनुजा गौतम रही दूसरे स्थान पर
इसी परीक्षा में बूंदी शहर की तनुजा गौतम ने भी 98.17% अंक हासिल कर जिले में दूसरा स्थान प्राप्त किया। तनुजा के पिता गोविंद गौतम एक निजी विद्यालय में शिक्षक हैं और मां अनिता गौतम गृहिणी हैं। तनुजा प्रतिदिन छह से आठ घंटे पढ़ाई करती थी और अब वह विज्ञान क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहती है। उनके घर में भी इस सफलता के बाद खुशी और गर्व का माहौल है।
ग्रामीण पृष्ठभूमि से आ रही प्रेरणाएं
इन दोनों विद्यार्थियों की सफलता यह साबित करती है कि संसाधनों की कमी अगर आत्मविश्वास, परिश्रम और परिवार के समर्थन से पूरी की जाए, तो कोई भी मंजिल दूर नहीं होती। सरकारी स्कूलों के छात्रों की यह उपलब्धि न केवल शिक्षा के क्षेत्र में आशा की किरण है, बल्कि समाज को यह भी दिखाती है कि प्रतिभा किसी भी परिस्थिति की मोहताज नहीं होती।
