गुजरात के अमरेली जिले से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है जहाँ एक दलित युवक की इसलिए बेरहमी से पिटाई कर दी गई क्योंकि उसने एक दुकानदार के बेटे को ‘बेटा’ कहकर पुकारा। इस हमले में गंभीर रूप से घायल युवक निलेश राठौड़ की इलाज के दौरान मौत हो गई। पुलिस ने इस मामले में अब तक आठ आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है और एक नाबालिग को हिरासत में लिया गया है।
क्या है मामला?
एफआईआर के अनुसार, यह घटना 16 मई को अमरेली-सावरकुंडला रोड पर घटी। निलेश राठौड़ एक भजिया स्टॉल के पास खड़े थे और पास की एक दुकान से स्नैक्स खरीदने गए थे। वहीं उन्होंने दुकानदार के नाबालिग बेटे से कहा कि क्या वह ऊपर रखे पैकेट उतारने में उसकी मदद करे और उसे ‘बेटा’ कह दिया। इस बात पर दुकानदार लालजी मंसुख चौहान भड़क गया और राठौड़ पर लोहे की कड़छी से हमला करने की कोशिश की।
घटना के बाद राठौड़ के साथ मौजूद अन्य लोगों पर भी हमला हुआ। एफआईआर में बताया गया है कि राठौड़, विजय टोता और अन्य पर डंडों और हसियों से हमला किया गया और जातिसूचक गालियां दी गईं। हमलावरों ने कथित रूप से यह भी कहा कि “नीची जाति के होकर भी ऊपर उठने की कोशिश कर रहे हो।”
पुलिस कार्रवाई
अमरेली ग्रामीण पुलिस ने शुरुआत में चार नामजद आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज किया था—लालजी भरवाड़, विजय टोता, भावेश मुंधवा और जतिन मुंधवा। केस में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की विभिन्न धाराओं के साथ-साथ SC/ST (अत्याचार निवारण) अधिनियम और गुजरात पुलिस अधिनियम की धाराएं भी जोड़ी गई हैं।
अमरेली के पुलिस अधीक्षक (SP) संजय खरात ने बताया, “जांच के दौरान सामने आया कि हमले में कुल 11 लोग शामिल थे। अब तक 9 को गिरफ्तार किया जा चुका है और दो की तलाश जारी है।”
राजनीतिक प्रतिक्रिया
इस दर्दनाक घटना ने पूरे राज्य में आक्रोश फैला दिया है। कांग्रेस विधायक और दलित नेता जिग्नेश मेवाणी ने मृतक के परिवार से मुलाकात की और धरने पर बैठे। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए सरकार से मांग की कि मृतक के परिवार और अन्य पीड़ितों को पांच एकड़ ज़मीन या सरकारी नौकरी दी जाए, मामले की निष्पक्ष जांच हो और केस को फास्ट-ट्रैक कोर्ट में चलाया जाए।
मेवाणी ने लिखा, “जरकिया गांव के निलेश राठौड़ की जान चली गई… सिर्फ इसलिए कि उन्होंने एक बच्चे को ‘बेटा’ कह दिया था और जातिवादी लोगों ने उन्हें बेरहमी से पीटा।”
सामाजिक चिंता
यह घटना सिर्फ एक आपराधिक मामला नहीं, बल्कि भारतीय समाज में गहराई से जड़ें जमाए जातिवाद की क्रूर अभिव्यक्ति है। एक आम शब्द ‘बेटा’ का इस्तेमाल करना किसी की जान ले सकता है, यह दर्शाता है कि सामाजिक समानता की दिशा में अभी लंबा रास्ता तय करना बाकी है।
यह मामला अभी भी जांच के अधीन है। पुलिस की ओर से कहा गया है कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा और समाज में नफरत फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
