राजस्थान में जल जीवन मिशन के तहत सामने आए करोड़ों रुपये के घोटाले में अब आरोपित इंजीनियरों को क्लीन चिट देने का खेल शुरू हो गया है। जयपुर सहित राज्य के पांच जिलों में बिना किसी कार्य के ही श्रीश्याम और गणपति ट्यूबवेल कंपनियों को 50 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था। इस मामले में शामिल इंजीनियरों को बचाने की कोशिशों की परतें अब खुलने लगी हैं।
कारण बताओ नोटिस और आरोप पत्रों में अंतर
मुख्यालय की ओर से फील्ड इंजीनियरों को भेजे गए कारण बताओ नोटिस और इंजीनियरों द्वारा प्रस्तुत आरोप पत्रों की जब कार्मिक विभाग के नियमों के आधार पर जांच की गई, तो दोनों में भारी अंतर पाया गया। आरोपों को इस तरह तैयार किया गया था कि अभियंताओं को क्लीन चिट दी जा सके।
आरोप पत्र फिर से उच्च अधिकारियों को भेजे जाएंगे
मामले में गंभीरता को देखते हुए सोमवार को सभी 11 अभियंताओं के आरोप पत्रों को संशोधित कर फिर से उच्च अधिकारियों को भेजा जाएगा। इससे पहले 12 मई को ‘पत्रिका’ ने अपनी विशेष रिपोर्ट में इस घोटाले की धीमी जांच और मनमाने आरोप पत्रों की ओर संकेत किया था।
अलवर में उजागर हुआ बचाव का खेल
इस घोटाले का बड़ा खुलासा अलवर जिले में हुआ, जहां अतिरिक्त मुख्य अभियंता द्वारा तैयार किए गए आरोप पत्रों में कई खामियां सामने आईं। अब उनके खिलाफ भी कार्रवाई की तैयारी की जा रही है।
बचाए जा रहे अभियंताओं की सूची
मुख्य अभियंता: अजय सिंह राठौड़
अधिशासी अभियंता:
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राजेश कुमार मीणा
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रामजीत मीणा
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विकास मीणा
सहायक अभियंता:
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अनुकृति सिहाग
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अनिल कुमार वर्मा
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युवराज कुमार सैनी
कनिष्ठ अभियंता:
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संजीव कुमार वर्मा
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शक्ति सिंह
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गौरी मीणा
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प्रकाश चन्द मीणा
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योगेश कुमार
अब आगे क्या?
सूत्रों के अनुसार, संशोधित आरोप पत्रों में पूर्व की कमियों को दूर किया गया है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की तैयारी चल रही है। सरकार और जलदाय विभाग के उच्च अधिकारी इस पूरे मामले पर बारीकी से नजर रखे हुए हैं।
