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Doctor Death: ‘संत दयादास’ के चोले में सीरियल किलर, झांसे में लेकर मरीजों से वसूली करता था लाखों

गुढ़ाकटला के रामेश्वरधाम आश्रम में शांति और सेवा के नाम पर चल रही एक भयावह हकीकत तब सामने आई, जब दिल्ली पुलिस ने दो दिन पहले आश्रम से कुख्यात सीरियल किलर देवेंद्र शर्मा उर्फ ‘डॉक्टर डेथ’ को गिरफ्तार किया। पिछले दो वर्षों से वह ‘संत दयादास’ के रूप में अवैध क्लीनिक चला रहा था, जहां वह बीमार लोगों को इलाज के नाम पर झांसे में लेकर मोटी रकम ऐंठता था।

फर्जी संत, असली शिकारी

आश्रम के भीतर बनाए गए क्लीनिक में शर्मा मरीजों को भर्ती करता था, उन्हें ड्रिप और इंजेक्शन तक लगाता था। इलाज का ‘गारंटी पैकेज’ 20 से 50 हजार रुपये तक का होता था। दवाएं जयपुर से बस द्वारा मंगवाई जाती थीं, जिनकी डिलीवरी मंदिर परिसर में होती थी। बदले में बस चालकों को रात में ठहरने और खाने की सुविधा दी जाती थी।

मरीजों की आस्था से खिलवाड़

गुरुवार को जब आश्रम पर दिल्ली पुलिस की कार्रवाई की खबर फैली, तब भी वहां कई मरीज इलाज के लिए मौजूद थे। सिकन्दरा से आए रामकिशोर ने बताया कि उसने अपनी पत्नी के इलाज के लिए 20,500 रुपये चुकाए थे, लेकिन बीमारी जस की तस रही। “बाबा ने कहा था अब सीढ़ियां बिना रुके चढ़ पाएगी, पर अब तक कोई फर्क नहीं पड़ा,” उन्होंने कहा।

50 हत्याओं का आरोपी, मगरमच्छों का खुराक बनाईं लाशें

देवेंद्र शर्मा का आपराधिक इतिहास खून से रंगा है। हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में 50 से अधिक हत्याओं के आरोप उस पर दर्ज हैं। कई मामलों में शवों को मगरमच्छों को खिलाने की सनसनीखेज जानकारी सामने आ चुकी है। आयुर्वेद की पढ़ाई और पूर्व में क्लीनिक चलाने के अनुभव के कारण वह मेडिकल जानकारी रखता था, जिसका फायदा उठाकर वह फर्जी उपचार कर रहा था।

वृद्धाश्रम की आड़ में नई साजिश

स्थानीय लोगों ने बताया कि ‘दयादास’ के नेतृत्व में वृद्धाश्रम बनाने की तैयारियां जोरों पर थीं। जनता से 10-15 लाख रुपये इकट्ठा कर संसाधन जुटाए गए थे। अब जब यह खुलासा हुआ है कि वह एक कुख्यात हत्यारा है, ग्रामीणों में दोहरी चिंता है — एक ओर ठगी का शिकार होने का डर, दूसरी ओर आश्रम के बंद होने की आशंका।

प्रशासन की आंख मूंद नीति

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इतने लंबे समय तक कोई भी प्रशासनिक या चिकित्सा विभाग की निगरानी नहीं हुई। एक अवैध क्लीनिक वर्षों तक बिना अनुमति चलना इस बात की ओर इशारा करता है कि या तो विभागों ने लापरवाही बरती या आंखें मूंद रखी थीं।

ग्रामीणों में रोष

अब जबकि देवेंद्र शर्मा गिरफ्तार हो चुका है, ग्रामीणों का कहना है कि आश्रम के संसाधनों में उसका कोई व्यक्तिगत योगदान नहीं था। “यह सब जनता के पैसों से बना है, प्रशासन को आश्रम बंद नहीं करना चाहिए,” एक ग्रामीण ने कहा।

manoj Gurjar
Author: manoj Gurjar

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