बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक हलचलें तेज़ हो गई हैं। इसी क्रम में गुरुवार को बिहार दौरे पर आए कांग्रेस सांसद राहुल गांधी अब कानूनी मुश्किलों में फंसते नज़र आ रहे हैं। दरभंगा में बिना प्रशासनिक अनुमति छात्रावास में प्रवेश कर छात्रों को संबोधित करने पर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है। प्राथमिकी दरभंगा के जिला कल्याण पदाधिकारी आलोक कुमार की ओर से दर्ज कराई गई है। राहुल गांधी के अलावा कांग्रेस विधायक शकील अहमद खान, प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम, पूर्व विधान पार्षद डॉ. मदन मोहन झा समेत 20 नेताओं को नामजद किया गया है, जबकि दर्जनों अज्ञात कार्यकर्ताओं पर भी मामला दर्ज किया गया है।
राहुल गांधी ने क्या कहा?
दरभंगा में छात्रों से बातचीत के दौरान राहुल गांधी ने एनडीए सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा, “बिहार सरकार छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ कर रही है। छात्रों के लिए सरकार की कोई योजना नहीं है। ये अन्याय है और हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे।” उन्होंने आगे कहा, “मैं आपको गारंटी देता हूं कि जैसे ही हमारी सरकार केंद्र और बिहार में आएगी, सबकुछ बदला जाएगा और छात्रों को उनका अधिकार मिलेगा।”
एफआईआर पर राहुल गांधी की प्रतिक्रिया
राहुल गांधी ने प्राथमिकी पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “हमें जो करना था, हमने किया। मैं जाति जनगणना पर बात करने गया था। हमें हॉस्टल के अंदर नहीं जाने दिया गया, शायद इसलिए क्योंकि वहां की हालत बेहद खराब है। मेरे ऊपर पहले से ही 30-32 केस हैं, ये मेरे लिए मेडल जैसे हैं।”
जातिगत जनगणना और सरकार पर आरोप
राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, “हमने संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा कि जातिगत जनगणना कराई जाए। जनता के दबाव में उन्हें ये फैसला लेना पड़ा। लेकिन सच्चाई ये है कि ये सरकार संविधान, लोकतंत्र और देश की 90% आबादी के खिलाफ है। यह अडानी-अंबानी की सरकार है, जनता की नहीं।”
चुनावी रणनीति या कानून उल्लंघन?
बिहार की राजनीतिक फिज़ा गर्म है और राहुल गांधी का यह दौरा चुनावी रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है। हालांकि, प्रशासनिक अनुमति के बिना हॉस्टल में छात्रों को संबोधित करना अब उनके लिए एक कानूनी चुनौती बन गया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस इस मामले को “लोकतंत्र की आवाज़ दबाने” के तौर पर पेश कर सकती है, जबकि एनडीए इसे कानून व्यवस्था के उल्लंघन का मामला बताएगा।
निष्कर्ष
जैसे-जैसे बिहार चुनाव नज़दीक आ रहे हैं, नेताओं की गतिविधियों पर प्रशासन की सख्त निगरानी बढ़ती जा रही है। राहुल गांधी का यह मामला आने वाले दिनों में राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का केंद्र बन सकता है। अब देखना होगा कि कांग्रेस इस मुद्दे को कैसे भुनाती है और प्रशासन इस पर क्या अगला कदम उठाता है।
