ऋषिकेश — वर्ष 2022 में हुए 19 वर्षीय अंकिता भंडारी हत्याकांड में न्याय की लड़ाई को आज निर्णायक मोड़ मिला, जब ऋषिकेश की एक अदालत ने पूर्व भाजपा नेता विनोद आर्य के बेटे पुलकित आर्य समेत तीन आरोपियों को हत्या और यौन शोषण समेत गंभीर अपराधों में दोषी करार दिया। इस केस में एक व्हाट्सएप चैट का एक वाक्य — “मैं गरीब हूं, पर क्या खुद को 10,000 में बेच दूंगी?” — सबसे निर्णायक सबूत बनकर उभरा।
केस की पृष्ठभूमि
सितंबर 2022 में अंकिता भंडारी, जो ऋषिकेश स्थित वनंतरा रिसॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट के तौर पर काम करती थीं, रहस्यमयी परिस्थितियों में लापता हो गई थीं। छह दिन बाद उनका शव चीला बैराज की नहर से बरामद हुआ। मेडिकल जांच में यह स्पष्ट हुआ कि यह कोई हादसा नहीं था — अंकिता को जानबूझकर नहर में धक्का दिया गया था।
वीआईपी को “विशेष सेवा” देने का दबाव
अभियोजन पक्ष ने कोर्ट में पेश किया कि अंकिता पर एक वीआईपी ग्राहक को “विशेष सेवा” देने का दबाव डाला गया था। इस अश्लील प्रस्ताव का विरोध करने पर, पुलकित आर्य, रिसॉर्ट मैनेजर सौरभ भास्कर और असिस्टेंट मैनेजर अंकित गुप्ता ने मिलकर उसकी हत्या कर दी। एक व्हाट्सएप चैट में अंकिता ने साफ शब्दों में लिखा था — “मैं गरीब हूं, लेकिन क्या मैं खुद को 10,000 में बेच दूंगी?” इस एक वाक्य ने पूरे देश को झकझोर दिया और कोर्ट में भी यह भावनात्मक वाक्य निर्णायक सबूत के रूप में सामने आया।
चश्मदीद नहीं, पर मजबूत ‘लास्ट सीन थ्योरी’
कोर्ट में प्रत्यक्षदर्शी नहीं थे, लेकिन ‘लास्ट सीन थ्योरी’ के तहत अभियोजन ने यह स्थापित किया कि आखिरी बार अंकिता को पुलकित के साथ स्कूटर पर देखा गया था, जिसमें अन्य दो आरोपी पीछे मोटरसाइकिल से जा रहे थे। गवाहों ने यह भी बताया कि घटना से पहले अंकिता ने फोन पर रोते हुए मदद मांगी थी — “प्लीज़ मुझे यहां से ले चलो।”
अदालत की टिप्पणी
अपर सत्र न्यायाधीश रीना नेगी ने कहा: “अपराध साबित करने के लिए गवाहों की संख्या नहीं, बल्कि साक्ष्यों की गुणवत्ता और ताकत मायने रखती है।” उन्होंने कहा कि अभियोजन पक्ष ने ऐसे मजबूत साक्ष्य पेश किए, जो परिस्थिति को सीधे आरोपियों के अपराध की ओर इंगित करते हैं।
सजा
तीनों दोषियों — पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता — को IPC की धारा 302 (हत्या), 201 (सबूत मिटाना), 354(क) (यौन उत्पीड़न) और अनैतिक व्यापार निवारण अधिनियम की धारा 5(1)(घ) के तहत दोषी करार दिया गया। सजा की अवधि का ऐलान जल्द किया जाएगा।
समाज में गूंजता संदेश
अंकिता की हत्या सिर्फ एक युवती की मौत नहीं थी, बल्कि एक सामाजिक चेतना को झकझोर देने वाली घटना थी। एक ऐसी युवती, जिसने दबाव और लालच के आगे झुकने से इनकार किया — और कीमत अपनी जान देकर चुकाई। आज का फैसला सिर्फ अंकिता के परिवार के लिए नहीं, बल्कि उन तमाम लड़कियों के लिए उम्मीद की किरण है, जो अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाती हैं।
