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“दिल्ली तो छोड़ो, अवध भी न रहा! ओझा जी की चुनावी पटकथा में ट्विस्ट”

नई दिल्ली: यूपीएससी पढ़ाने से राजनीति में आए अवध ओझा का चुनावी सफर पटपड़गंज में किसी बॉलीवुड फिल्म की तरह रहा—ड्रामा, इमोशन और क्लाइमैक्स में चौंकाने वाला ट्विस्ट! आम आदमी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले ओझा जी का सपना पूरा होने से पहले ही चकनाचूर हो गया, क्योंकि भाजपा प्रत्याशी रविंद्र नेगी ने उन्हें सीट से बेदखल कर दिया।

ओझा जी अपनी बड़बोली शैली और ज्ञानवर्धक लेक्चर्स के लिए मशहूर हैं, लेकिन इस बार सोशल मीडिया पर उनकी हार के चर्चे ज्यादा हो रहे हैं। चुनावी नतीजों के बाद ट्विटर (अब X) और इंस्टाग्राम पर मीम्स की बाढ़ आ गई। एक यूजर ने उनके मशहूर डायलॉग को ट्विस्ट देते हुए लिखा:

“जीत क्या जीत? हार में भी लोग आपकी बात करें, ये होती है राजाओं वाली सोच!”

एक और मीम में लिखा गया:
“राजधानी थी इसलिए जाने दिया, पूर्वांचल होता तो बूथ कब्जा लेते!”

इतिहास, भूगोल सब पढ़ा, लेकिन गणित गड़बड़ हो गया!

एक फेसबुक यूजर ने तो अवध ओझा की मेहनत पर तंज कसते हुए लिखा:
“इतिहास-भूगोल सब पढ़ाया, पर राजनीति का अंकगणित नहीं समझ पाए।”

कुछ यूजर्स ने ओझा जी की हार को “माया मिली न राम” वाली कहावत से जोड़ दिया।

 चुनावी रण में मात खाने के बाद क्या ओझा जी फिर से यूपीएससी कोचिंग की तरफ लौटेंगे, या अगला चुनावी रणभूमि में उतरेंगे? यह तो वक्त बताएगा। लेकिन एक बात तय है—इंटरनेट की जनता ने उन्हें मीम वर्ल्ड का ‘राजा बाबू’ जरूर बना दिया है!

manoj Gurjar
Author: manoj Gurjar

मनोज गुर्जर पिछले 5 वर्षों से डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं और खेल, राजनीति और तकनीक जैसे विषयों पर विशेष रूप से लेखन करते आ रहे हैं। इन्होंने देश-दुनिया की बड़ी घटनाओं को गहराई से कवर किया है और पाठकों तक तथ्यात्मक, त्वरित और विश्वसनीय जानकारी पहुँचाने का काम किया है। मनोज का उद्देश्य है कि हर पाठक को सरल भाषा में सटीक और विश्लेषणात्मक खबरें मिलें, जिससे वह अपनी राय बना सके। वे डिजिटल न्यूज़ की दुनिया में लगातार नई तकनीकों और ट्रेंड्स को अपनाकर अपने लेखन को और प्रभावशाली बना रहे हैं।

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