राजस्थान सरकार ने राज्य के महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूलों को लेकर एक अहम फैसला लिया है। अब सत्र 2025-26 से इन स्कूलों में छात्रों को शिक्षा का माध्यम चुनने का विकल्प मिलेगा—चाहे वह अंग्रेजी हो या हिंदी। शिक्षा सचिव कृष्ण कुणाल ने इस फैसले की पुष्टि करते हुए कहा कि यह कदम राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के अनुरूप है और इसका उद्देश्य छात्रों को उनकी सुविधा और समझ के अनुसार शिक्षा प्रदान करना है।
पिछली नीतियों में बदलाव का संकेत
पिछली सरकार ने महात्मा गांधी स्कूलों को पूर्णतः अंग्रेजी माध्यम में बदल दिया था, जिससे हिंदी माध्यम के छात्रों के लिए विकल्प सीमित हो गए थे। अब शिक्षा विभाग ने तीन कैबिनेट उप-समिति की समीक्षा बैठकों के बाद यह निर्णय लिया है कि ग्राम पंचायत स्तर पर उन क्षेत्रों में, जहां हिंदी माध्यम के स्कूल बंद कर दिए गए थे, वहां अब स्कूल दो शिफ्टों में चलाए जाएंगे—एक हिंदी और दूसरी अंग्रेजी माध्यम के लिए।
नामांकन में गिरावट बनी चिंता का कारण
शिक्षा विभाग ने स्वीकार किया है कि प्राथमिक कक्षाओं में सीटों की सीमित संख्या के चलते इन अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में नामांकन में कमी आई है। विभाग के अनुसार, उच्च कक्षाओं में तो पर्याप्त सीटें थीं, लेकिन फीडर कक्षाओं में कमी के कारण छात्र संख्या में गिरावट देखी गई।
शिक्षक और विषय संकायों की होगी व्यवस्था
शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए यह तय किया गया है कि किसी स्कूल में यदि किसी विषय का शिक्षक उपलब्ध नहीं है, तो नजदीकी स्कूल से शिक्षक को अस्थायी रूप से नियुक्त किया जा सकता है। इसके लिए विभाग अतिरिक्त मानदेय जैसे विकल्पों पर विचार कर रहा है। विशेष ध्यान विज्ञान संकायों पर दिया जाएगा, और जहां जरूरत होगी वहां नए विज्ञान संकाय शुरू करने को प्राथमिकता दी जाएगी।
लड़कियों को मिलेगा खास लाभ
बैठकों में यह भी निर्णय लिया गया कि विशेष रूप से बालिकाओं को उनकी ही ग्राम पंचायत में हिंदी माध्यम में पढ़ाई जारी रखने का अवसर मिलना चाहिए, जिससे वे शिक्षा से वंचित न रहें।
निष्कर्ष
राजस्थान सरकार का यह निर्णय राज्य की शिक्षा प्रणाली में एक संतुलन लाने की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है। इससे न केवल छात्रों को भाषा की बाधा से राहत मिलेगी, बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में समान अवसर भी सुनिश्चित होंगे।
