राजस्थान हाईकोर्ट ने टोंक जिले के देवली-उनियारा विधानसभा उपचुनाव के दौरान हुए चर्चित एसडीएम थप्पड़कांड में निर्दलीय उम्मीदवार नरेश मीणा को जमानत दे दी है। यह मामला उस समय चर्चा में आया था जब नरेश मीणा ने मतदान में अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए एसडीएम अमित चौधरी को 13 नवंबर 2024 को समरावता गांव में कथित रूप से थप्पड़ जड़ दिया था।
इस घटना के बाद क्षेत्र में हिंसा फैल गई थी जिसमें पथराव, आगजनी और पुलिस से झड़पें हुई थीं। समर्थकों ने गिरफ्तारी के विरोध में हिंसक प्रदर्शन किए और कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया। पुलिस ने नरेश मीणा सहित 63 लोगों को गिरफ्तार किया था। अगले दिन 14 नवंबर को उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था।
हाईकोर्ट में जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान नरेश मीणा की ओर से एडवोकेट डॉ. महेश शर्मा, फतेहराम मीणा और लाखन सिंह मीणा ने पैरवी की। उन्होंने अदालत में तर्क रखा कि यह मामला पूरी तरह राजनीति से प्रेरित है और चुनावी माहौल में आरोप लगाए गए हैं। मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस अनिल कुमार उपमन की एकलपीठ ने नगरफोर्ट थाने में दर्ज FIR संख्या 166/24 के तहत नरेश मीणा की जमानत याचिका को मंजूर कर लिया। पुलिस इस मामले में पहले ही चार्जशीट दाखिल कर चुकी है।
हालांकि, नरेश मीणा को अभी जेल से रिहाई नहीं मिल पाएगी, क्योंकि 13 नवंबर की रात हुई हिंसा और आगजनी के एक अन्य मामले में उनकी जमानत पहले ही खारिज की जा चुकी है। इस कारणवश उन्हें अभी जेल में ही रहना होगा। कोर्ट ने हिंसा के इस मामले में अगली सुनवाई जल्द करने के संकेत दिए हैं।
वहीं, सरकार की ओर से कोर्ट में यह तर्क रखा गया कि ऐसी घटनाएं समाज में गलत संदेश देती हैं और एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बाधित करती हैं। यह मामला सिर्फ एक राजनीतिक घटना नहीं बल्कि चुनावी व्यवस्था, प्रशासनिक गरिमा और कानून व्यवस्था पर भी एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। अब सभी की नजरें इस केस की अगली सुनवाई पर टिकी हैं।
