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पंजाब में नई तकरार: संयुक्त किसान मोर्चा ने लैंड पूलिंग पॉलिसी को लेकर सरकार को दी चेतावनी, 30 जुलाई को ट्रैक्टर मार्च का ऐलान

photo credit dainik jagran

पंजाब की राजनीति एक बार फिर किसानों के मुद्दे को लेकर गरमा गई है। संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने शुक्रवार को सर्वदलीय बैठक कर चेतावनी दी है कि अगर पंजाब सरकार ने लैंड पूलिंग पॉलिसी को रद्द नहीं किया तो तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली में हुआ आंदोलन दोबारा पंजाब में शुरू किया जाएगा। किसान नेताओं ने कहा कि यह आंदोलन सरकार को झुकने पर मजबूर कर देगा।

आप पार्टी नदारद, 10 दलों का मिला समर्थन

किसान भवन में हुई इस बैठक में आम आदमी पार्टी (AAP) का कोई भी प्रतिनिधि शामिल नहीं हुआ, जबकि बीजेपी, कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी समेत राज्य के 10 राजनीतिक दलों ने SKM को समर्थन दिया। किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने बताया कि कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा को बैठक में आमंत्रित किया गया था, उन्होंने शामिल होने का वादा किया था लेकिन कोई प्रतिनिधि नहीं आया।

बीजेपी नेताओं की मौजूदगी ने खींचा ध्यान

2020 में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के दौरान बीजेपी को किसानों ने मुख्य निशाना बनाया था। लेकिन शुक्रवार की बैठक में बीजेपी के डॉ. सुभाष शर्मा और केवल ढिल्लों ने भाग लेकर समर्थन जताया। शर्मा ने कहा, “भाजपा लैंड पूलिंग नीति के खिलाफ है और किसानों से संपर्क अभियान चला रही है।” वहीं केवल ढिल्लों ने कहा, “भाजपा किसानों के साथ चट्टान की तरह खड़ी है।” कांग्रेस से पूर्व मंत्री रणदीप नाभा और हैप्पी खेड़ा भी बैठक में पहुंचे और मोर्चा को समर्थन दिया।

30 जुलाई को ट्रैक्टर मार्च का ऐलान

किसान नेता डॉ. दर्शन पाल ने घोषणा की कि जहां-जहां पंजाब सरकार जमीन का अधिग्रहण कर रही है, वहां SKM 30 जुलाई को ट्रैक्टर मार्च निकालेगा। इसके जरिए सरकार की नीतियों का विरोध किया जाएगा।

ये प्रस्ताव हुए पारित:

  • लैंड पूलिंग पॉलिसी को तुरंत रद्द किया जाए।

  • पानी समझौते को विधानसभा में रद्द करके केंद्र सरकार को भेजा जाए।

  • जल समझौते की धारा 78, 79 और 80 को खत्म किया जाए।

  • पंजाब सरकार राज्य में कृषि नीति तुरंत लागू करे।

  • अमेरिका के साथ फ्री ट्रेड समझौते में कृषि और उससे जुड़े धंधों को शामिल न किया जाए।

पानी समझौते पर भी हुई तीखी बहस

बैठक में भाजपा और बसपा के प्रतिनिधियों के बीच पानी समझौते को लेकर बहस देखने को मिली। बसपा के प्रधान अवतार सिंह करीमपुरी ने कहा कि केंद्र सरकार को संबंधित धाराएं रद्द करनी चाहिए। इसके जवाब में भाजपा के सुभाष शर्मा ने कहा कि “पहले पंजाब विधानसभा इसे पास करे, फिर केंद्र को भेजा जाए।” बैठक का संचालन बूटा सिंह बुर्जगिल, बलबीर सिंह राजेवाल, हरिंदर सिंह लक्खोवाल, रमिंदर सिंह और डॉ. दर्शन पाल ने किया। मौके पर कई अन्य किसान नेता भी उपस्थित थे।

manoj Gurjar
Author: manoj Gurjar

मनोज गुर्जर पिछले 5 वर्षों से डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं और खेल, राजनीति और तकनीक जैसे विषयों पर विशेष रूप से लेखन करते आ रहे हैं। इन्होंने देश-दुनिया की बड़ी घटनाओं को गहराई से कवर किया है और पाठकों तक तथ्यात्मक, त्वरित और विश्वसनीय जानकारी पहुँचाने का काम किया है।

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