भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता के उपलक्ष्य में देशभर में नौ दिवसीय ‘तिरंगा यात्रा’ की शुरुआत कर दी है। 14 से 23 मई तक चलने वाली यह यात्रा शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में निकाली जाएगी, जिसमें युवा, छात्र, महिला संगठन और पूर्व सैनिक भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेंगे। पार्टी इस यात्रा के माध्यम से राष्ट्रभक्ति, एकता और तिरंगे के प्रति सम्मान का संदेश जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास कर रही है।
ऑपरेशन सिंदूर: सैन्य सफलता का राष्ट्रीय उत्सव
बीजेपी के अनुसार, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ भारत की आतंकवाद के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस नीति’ और सैन्य-राजनयिक सफलता का प्रतीक है। पार्टी ने तिरंगा यात्रा के माध्यम से सशस्त्र बलों के साहस और बलिदान को सम्मान देने का ऐलान किया है। पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि यह यात्रा राष्ट्रीय एकता का प्रतीक बनेगी और हर नागरिक में देशभक्ति की भावना को प्रबल करेगी।
बिहार से उत्तर प्रदेश तक तिरंगा यात्रा की गूंज
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बिहार: भाजपा के प्रदेश प्रमुख दिलीप जायसवाल ने जानकारी दी कि राज्यभर में सभी सांसद और विधायक 23 मई तक अपने-अपने क्षेत्रों में यात्रा का नेतृत्व करेंगे।
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उत्तर प्रदेश: सीएम योगी आदित्यनाथ व डिप्टी सीएम केशव मौर्य, बृजेश पाठक सहित वरिष्ठ नेता लखनऊ से तिरंगा यात्रा की शुरुआत कर चुके हैं। यात्रा 1090 चौराहे तक निकाली गई।
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उत्तराखंड: देहरादून में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में ‘तिरंगा शौर्य यात्रा’ निकाली गई, जिसमें हजारों कार्यकर्ता शामिल हुए।
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ओडिशा: भुवनेश्वर में सीएम मोहन चरण माझी ने बाइक रैली के रूप में यात्रा का नेतृत्व किया। मंत्री सूर्यवंशी सूरज भी इस यात्रा में सक्रिय रूप से शामिल रहे।
राजनीतिक बयानबाज़ी भी तेज
इस राष्ट्रीय आयोजन के बीच विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधा है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव ने तिरंगा यात्रा को सेना के “राजनीतिकरण” की कोशिश बताया। उन्होंने कहा, “हमारे वीर जवान राजनीति से परे हैं, उनका सम्मान हर भारतीय का कर्तव्य है, लेकिन चुनावों से पहले इस तरह के आयोजन राजनीति से प्रेरित लगते हैं।”
बिहार में नेताओं की बड़ी हलचल
बीजेपी की इस यात्रा के बीच राजनीतिक गतिविधियां भी तेज़ हो गई हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी जहां 15 मई को बिहार का दौरा करेंगे, वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 30 मई को राज्य में एक बड़ा जनसभा करेंगे। विश्लेषकों का मानना है कि यह आयोजन आगामी विधानसभा चुनावों की रणनीति का हिस्सा भी हो सकता है।
देशभक्ति के रंग में रंगा भारत
बीजेपी का दावा है कि तिरंगा यात्रा का उद्देश्य केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि पूरे देश को एकजुट करना है। पार्टी नेताओं का कहना है कि यह अभियान हर समुदाय के लोगों को जोड़कर भारतीय सेना की वीरता का उत्सव बन जाएगा।
निष्कर्ष:
ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद भारत तिरंगे के नीचे एक बार फिर एकजुट नजर आ रहा है। जहां एक ओर सत्ताधारी दल इसे देशभक्ति का उत्सव बता रहा है, वहीं विपक्ष इसे चुनावी रणनीति बता रहा है। सच्चाई चाहे जो हो, इस यात्रा ने एक बार फिर देशवासियों को सेना के शौर्य की याद दिला दी है।
