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पाकिस्तान ने मांगी पानी की भीख, भारत से सिंधु जल संधि पर नरमी की गुहार

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान पर कई सख्त कदम उठाए हैं। इस सिलसिले में भारत सरकार ने सिंधु जल संधि पर रोक लगाने का ऐलान किया, जिससे पाकिस्तान में हड़कंप मच गया है। अब पाकिस्तान ने भारत के जल शक्ति मंत्रालय को पत्र लिखकर इस फैसले पर पुनर्विचार की गुहार लगाई है।

पाकिस्तान की अपील: ‘निर्णय पर करें पुनर्विचार’

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पाकिस्तान के जल संसाधन मंत्रालय ने भारत के जल शक्ति मंत्रालय को एक औपचारिक पत्र भेजा है। इसमें कहा गया है कि यदि भारत ने सिंधु जल संधि को रोकने का निर्णय लागू किया, तो पाकिस्तान में गंभीर जल संकट पैदा हो सकता है। पत्र में यह भी उल्लेख किया गया कि पाकिस्तान इस मुद्दे पर बातचीत को तैयार है और समाधान के लिए बातचीत का रास्ता अपनाना चाहता है।

पीएम मोदी का स्पष्ट संदेश: “खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते”

हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए पाकिस्तान को सख्त संदेश दिया था। उन्होंने कहा, “अब भारत अपने हिस्से की तीन नदियों का पानी अपने उपयोग में लाने की दिशा में कार्य करेगा।” इसके लिए तत्काल योजना बनाकर कार्य भी शुरू कर दिया गया है।

क्या है सिंधु जल संधि?

1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुई सिंधु जल संधि एक ऐतिहासिक जल-वितरण समझौता है। इसके तहत सिंधु नदी प्रणाली की छह नदियों — सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास और सतलुज — का जल वितरण किया गया था।

इस संधि के तहत भारत को इन नदियों के कुल जल का केवल 19.5% हिस्सा मिलता है, जबकि पाकिस्तान को लगभग 80% पानी का लाभ होता है। भारत अभी भी अपने हिस्से के करीब 90% पानी का ही इस्तेमाल करता है।

आतंकवाद और जल कूटनीति के बीच टकराव

पिछले कुछ वर्षों से पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद और सीमा पर बढ़ती तनाव की घटनाओं को देखते हुए भारत अब सिंधु जल संधि की शर्तों पर पुनर्विचार कर रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के इस रुख से पाकिस्तान की जल निर्भरता पर सीधा प्रभाव पड़ेगा, जिससे उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दबाव का सामना करना पड़ सकता है।


निष्कर्ष: भारत और पाकिस्तान के संबंध एक बार फिर जल नीति और सुरक्षा के मोर्चे पर आमने-सामने हैं। भारत की नई नीति पाकिस्तान को न केवल कूटनीतिक रूप से घेर रही है, बल्कि उसकी जल सुरक्षा को भी चुनौती दे रही है। आने वाले दिनों में यह देखने लायक होगा कि पाकिस्तान इस संकट से कैसे निपटता है – वार्ता के रास्ते या फिर टकराव के।

manoj Gurjar
Author: manoj Gurjar

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