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SI भर्ती मामला: डोटासरा का दिल्ली पर तंज, बेनीवाल की आंदोलन की चेतावनी से सरकार पर बढ़ा दबाव

राजस्थान में 2021 की SI (उप निरीक्षक) भर्ती परीक्षा पेपर लीक मामले ने एक बार फिर सियासी हलचल तेज कर दी है। कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और आरएलपी प्रमुख सांसद हनुमान बेनीवाल ने सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए युवा अभ्यर्थियों के भविष्य को लेकर चिंता जताई है।

डोटासरा ने भजनलाल सरकार को घेरा, ‘दिल्ली’ का किया जिक्र

सोमवार को बाड़मेर में मीडिया से बातचीत करते हुए डोटासरा ने मुख्यमंत्री पर कटाक्ष करते हुए कहा, “जब मुख्यमंत्री की नियुक्ति भी दिल्ली से पर्ची पर हुई, तो SI भर्ती जैसे अहम फैसले वो अपने विवेक से कैसे लेंगे?” उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार हाईकोर्ट में जानबूझकर गलत जानकारी दे रही है और युवाओं के साथ विश्वासघात कर रही है।

डोटासरा ने कहा कि डेढ़ साल से अभ्यर्थी असमंजस में हैं और सरकार सिर्फ भ्रमण में व्यस्त है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि मुख्यमंत्री को युवा वर्ग की समस्याओं की कोई चिंता नहीं है।

हनुमान बेनीवाल की चेतावनी – भर्ती रद्द नहीं हुई तो होगा आंदोलन

दूसरी ओर, नागौर से सांसद और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) के प्रमुख हनुमान बेनीवाल ने चेतावनी दी है कि यदि SI भर्ती को रद्द नहीं किया गया, तो वे पूरे प्रदेश में युवा आंदोलन छेड़ देंगे।

जयपुर के शहीद स्मारक पर एक महीने से जारी धरने के बीच बेनीवाल ने रविवार को मानसरोवर में एक बड़ी रैली की। उन्होंने कहा, “राज्य में पेपर माफिया हावी है और RPSC पूरी तरह भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुका है। भाजपा सरकार ने चुनाव से पहले CBI जांच और RPSC के पुनर्गठन का वादा किया था, लेकिन सत्ता में आते ही सब भुला दिया।”

हाईकोर्ट में सरकार ने मांगा समय

सोमवार को इस मामले में हाईकोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता विज्ञान शाह ने कोर्ट से 1 जुलाई तक का समय मांगा। उन्होंने बताया कि नीति आयोग की बैठक और कैबिनेट सब-कमेटी की बैठक न हो पाने के कारण निर्णय में देरी हुई है। कोर्ट ने सरकार की मांग को स्वीकार करते हुए अगली सुनवाई की तारीख तय कर दी है।

युवाओं में बढ़ रही बेचैनी

SI भर्ती मामला अब केवल कानूनी या प्रशासनिक नहीं रहा, बल्कि यह राजनीतिक और जन भावनाओं से जुड़ा बड़ा मुद्दा बन गया है। अभ्यर्थी न तो नौकरी को लेकर आश्वस्त हैं, न ही नई भर्तियों की स्थिति स्पष्ट हो पा रही है। अब सबकी नजरें अगले महीने सरकार के निर्णय और कोर्ट की सुनवाई पर टिकी हैं। देखना यह होगा कि क्या सरकार दबाव में आकर कोई बड़ा फैसला लेती है या फिर युवाओं की यह लड़ाई लंबी खिंचती है।

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Author: manoj Gurjar

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